तारा पीठ -पश्चिम बंगाल- तंत्र साधना का चमत्कारी केंद्र

By: Shikha Mishra

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तारापीठ, पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित एक अत्यंत महत्वपूर्ण और चमत्कारी तांत्रिक केंद्र है। यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहाँ देवी सती की तीसरी आँख या नेत्र गिरे थे, जिसके कारण इस स्थान का नाम 'तारापीठ' पड़ा।

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यह स्थान माँ तारा को समर्पित है, जिन्हें देवी काली का ही एक स्वरूप माना जाता है।

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तारापीठ को कामाख्या की तरह ही तंत्र साधकों के लिए एक सिद्ध पीठ माना जाता है। यहाँ तांत्रिक और अघोरी साधनाएँ करते हैं।

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कहा जाता है कि श्मशान में जलने वाले शवों का धुआँ मंदिर के गर्भगृह तक जाता है, जो इसके तांत्रिक महत्व को और बढ़ाता है।

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19वीं शताब्दी के सिद्ध संत वामाखेपा ने इसी स्थान पर साधना कर सिद्धि प्राप्त की थी। उन्हें माँ तारा का परम भक्त माना जाता है।

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कौशिकी अमावस्या की रात को यहाँ विशेष तांत्रिक अनुष्ठान होते हैं, जिसमें देश-विदेश से तांत्रिक और श्रद्धालु आते हैं।

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