दिल्ली के आर्कबिशप के एक पत्र ने देश के राजनीतिक गलियारों में एक भूचाल सा ला दिया है। आर्कबिशप का यह बयान काफी विवादास्पद बताया जा रहा है। आर्कबिशप के बयान इस ओर इशारा कर रहा है कि देश में धर्मांधता तेजी के साथ बढ़ी है। दिल्ली के आर्कबिशप अनिल काउटो ने सभी चर्च के पादरियों को एक चिट्ठी लिखी है।
अपनी चिट्ठी में अनिल ने लिखा है कि देश और नेताओं के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। अनिल पत्र में कहते हैं कि चूंकि हमारे देश में अगले साल चुनाव होनेवाले हैं, इसलिए देश के लिए प्रार्थना करने की जरूरत है।
आर्कबिशप ने चर्च के सभी पादरियों का आह्वान करते हुए कहा है कि इस समय देश में राजनीतिक हालात अस्थिर है। 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आर्कबिशप ने कहा कि सभी पादरी प्रार्थना करें और शुक्रवार को उपवास रखें। अनिल ने देश की वर्तमान स्थिति को काफी नाजूक बताया। साथ ही उन्होंने आज के राजनीतिक माहौल को धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा बताया।
आर्कबिशप के इस पत्र के बाद भाजपा काफी बौखला गई है। आर्कबिशप के बयान के बाद उसके नेताओं के तरह-तरह के बयान आ रहे हैं। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी का आर्कबिशप के बयान पर कहना है कि पीएम मोदी जाति-धर्म के साथ होनेवाले भेदभाव को कम करने में योगदान निभा रहे हैं। हम प्रोग्रेसिव माइंडसेट के साथ उनसे इसपर सोचने की बात कह रहे हैं।
भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने भी आर्कबिशप के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि अगर आर्कबिशप ने भाजपा सरकार नहीं बनने देने के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी है तो मैं यही कहूंगा कि दूसरे धर्म के लोग भी देश में हैं, जो पूजा-कीर्तन करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं कुछ ऐसा कदम नहीं उठाऊंगा, जिससे सांप्रदायिक सद्भावना खराब हो।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह आर्कबिशप के पत्र के बारे में जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और यहां किसी से उसके धर्म और जाति के आधार पर कभी कोई भेदभाव नहीं किया जाता।
हालांकि पत्र पर विवाद बढ़ता देख दिल्ली के आर्कबिशप के सचिव फादर रॉबिन्सन ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि पत्र में सरकार और पीएम के खिलाफ कोई बात नहीं कही गई है। लोगों द्वारा गलत सूचना प्रचारित और प्रसारित की जा रही है।