देश में आज यानी बुधवार को ईद-उल-जुहा मनाई जा रही है। देश के तमाम मस्जिदों में सुबह ईद की नमाज अदा की गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशवासियों को इस अवसर सपर ईद की शुभकामनाएं दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ईद-उल-जुहा के अवसर पर सभी देशवासियों विशेषकर हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। इस विशेष दिन हम त्याग और बलिदान की भावना के प्रति अपना आदर व्यक्त करते हैं। आइए, अपने समावेशी समाज में एकता और भाइचारे के लिए मिलकर काम करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने ईद-उल-जुहा पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज हमारे समाज में करुणा और भाईचारे की भावना को गहरा कर दें। बकरीद को अरबी में ‘ईद-उल-जुहा’ कहते हैं। जानकारी दे दें कि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, हजरत इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन खुदा के लिए कुर्बान करने जा रहे थे, लेकिन अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया था। जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।
अरबी में ‘बक़र’ का अर्थ है बड़ा जानवर जो जिबह किया (काटा) जाता है। मान्यता है कि इस मौके पर इंसान अल्लाह के बहुत करीब हो जाता है। बता दें कि ईद-उल-फितर यानी मीठी ईद के बाद यह सबसे बड़ा त्योहार है। मीठी ईद के ठीक 2 महीने बाद इसे मनाया जाता है।
ईद-उल-अजहा को लेकर कंफ्यूजन था। पहले बकरीद की तारीख 23 बताई जा रही थी। इससे पहले इमरात-ए-शरीया-हिंद और रूयत-ए-हिलाल कमेटी समेत तमाम कमेटियों ने 22 अगस्त को ईद-उल-अजहा मनाने की बात कही थी। लेकिन मरकजी-ए-हिलाल कमेटी ने 23 अगस्त को बकरीद मनाने की घोषणा कर दी थी।
बकरीद की तारीख में बदलाव की वजह को बताते हुए चांदनी चौक फतेहपुरी मजिस्द के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बताया कि दरअसल 12 अगस्त को दिल्ली के आसमान में बादल छाए रहने से चांद नहीं दिखा था। तब 15 अगस्त को फतेहपुरी कदीम-रूयत-ए-हिलाल कमेटी की फिर से एक बैठक हुई थी जिसमें देश के अन्य हिस्सों में चांद दिखने की बात सामने आई थी। इसके बाद ईद-उल-अजहा या जुहा की तिथी पर सहमति बन गई है। इस तरह अब देशभर में बकरीद का त्योहार 22 अगस्त को ही मनाया जा रहा है।