मुबंई : हिंदी सिनेमा के बेहतरीन राइटर, गीतकार और शब्दों के जादूगर जावेद अख्तर का आज जन्मदिन है। बॉलीवुड में उनकी पहचान बतौर डायलॉग राइटर, स्क्रिप्ट राइटर और गीतकार के रुप में है। जावेद अख्तर को 14 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला है। उन्हें सात बार बेस्ट स्क्रिप्ट के लिए और सात बार बेस्ट लिरिक्स के लिए अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। इतना ही नहीं जावेद अख्तर को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए 5 बार नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।
जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता जां निसार अख्तर प्रसिद्ध शायर और माता सफिया अख्तर लेखिका थीं। उनका असली नाम जादू है लेकिन इस नाम के पीछे एक खूबसूरत कहानी है। जावेद अख्तर के पिता की एक कविता थी ‘लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा’ और इसी कविता के आधार पर उनका यह नाम जादू पड़ गया था। जावेद नाम जादू से काफी मिलता-जुलता था, इसलिए उनका नाम जावेद रख दिया गया। जावेद अख्तर ने दो शादियां की। उनकी पहली पत्नी हनी ईरानी थीं। हनी ईरानी से उनकी मुलाकात सीता और गीता के सेट पर हुई थी। इसके बाद में दोनों के रिश्ते खराब होने की वजह से यह शादी टूट गई। शुरुआती दिनों में जावेद अख्तर कैफी आजमी के सहायक थे और उन्हीं की बेटी शबाना आजमी के साथ उन्होंने दूसरी शादी की।
बताया जाता है कि जावेद अख्तर हमेशा से ही कुछ अलग करना चाहते थे। वह 4 अक्टूबर 1964 को मुंबई आ गए। उस वक्त उनके पास न खाने के पैसे थे न कहीं रहने के। कई रात सड़कों पर सोने के बाद उनको बाद में कमाल अमरोही के स्टूडियो में ठिकाना मिला। उनके लिए बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। एक बार जावेद अख्तर अपनी स्क्रिप्ट लेकर किसी प्रोड्यूसर के पास गए। प्रोड्यूसर को जावेद की स्क्रिप्ट इतनी बुरी लगी कि उसने स्क्रिप्ट के पन्ने उनके मुंह पर मार दिए और जावेद से कहा कि तुम जिंदगी में कभी भी लेखक नहीं बन सकते। फिर भी जावेद अख्तर ने हार नहीं मानी और एक लेखक बनकर दिखाया। साथ ही बॉलीवुड को जावेद अख्तर ने बेहतरीन फिल्में दीं है।
कहा जाता है कि जावेद अख्तर की कामयाबी के पीछे सलीम खान का हाथ है दोनों की दोस्ती भी काफी हिट रही। सलीम खान और जावेद अख्तर की पहली मुलाकात सरहदी लुटेरा फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई थीं। इस फिल्म में सलीम खान हीरो थे। वहीं दोनों ने मिलकर बॉलीवुड को कई सुपरहिट फिल्में दीं। जैसे जंजीर, त्रिशूल, दोस्ताना, सागर, काला पत्थर, मशाल, मेरी जंग और मि. इंडिया, दीवार, शोले। इन दोनों की जोड़ी ने राइटर्स को कम फीस देने के ट्रेंड को भी बदला। उस दौर में जब लेखक को हीरो से बहुत कम पैसे मिलते थे लेकिन फिल्म दोस्ताना में इन दोनों ने अमिताभ बच्चन से ज्यादा फीस ली।
कंचन मौर्य