नयी दिल्ली। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने गुरुवार को लोकसभा में सरकार पर पारदर्शिता की आड़ में राजनीतिक पार्टियों के लिए चंदा उगाही के भ्रष्ट रास्ते खोलने का आरोप लगाते हुए वित्त विधेयक में ‘राजनीतिक दलों के लिए कारपोरेट्स से चंदे’ की व्यवस्था वाले संशोधन को वापस लेने की मांग की।
वित्त विधेयक 2017 के संशोधनों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार एक ओर तो राजनीतिक दलों के लिए चंदे की प्रक्रिया में पारदर्शिता की बात करती है तो वहीं दूसरी ओर उसने जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर वित्त विधेयक में कुछ और ही व्यवस्था कर दी है। पहले जहां कारोबारी समूहों पर यह पाबंदी थी कि वे अपनी आमदनी का केवल साढ़े सात फीसदी ही राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में दे सकते थे, अब उस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया और उन्हें यह छूट दे दी गई है कि वे अपनी आमदनी का जितना प्रतिशत चाहें राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में दे सकते हैं। इसका ब्यौरा भी देना उनके लिए अनिवार्य नहीं है।
इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और बीजू जनता दल के भृतृहरि महताब ने भी हुड्डा का समर्थन किया और संशोधन को वापस लेने की मांग की। महताब ने कहा कि क्या अब यह दिन आ गया है कि ‘हमारे राजनीतिक दल कारोबारी समूहों के पैसे से चलेंगे।’
राजनीतिक दलों के लिए चंदा उगाही की नयी व्यवस्था के अलावा विपक्षी सदस्यों ने आधार कार्ड को पैन कार्ड से जोड़ने और इनकम टैक्स अधिकारियों को टैक्स चोरी के मामलों में छापा डालने,जांच करने और जब्ती की दी गई खुली छूट से जुड़े संशोधनों को भी वापस लेने की मांग की।
हुड्डा ने वित्त विधेयक की आड़ में चालीस कानूनों में संशोधन किए जाने पर भी आपत्ति उठाई और कहा कि ऐसा करके राज्यसभा के अधिकारों पर आघात किया गया है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 110 और 81 का खुला उल्लंघन बताया।
सत्तारूढ़ बीजेपी के किरीट सोमैया ने आरोप लगाया कि राज्यसभा में विपक्ष ने जो संशोधन सुझाये हैं, उनका उद्देश्य कालाधन रखने वालों और हाल में नोटबंदी के बाद 18 लाख से अधिक निष्क्रिय बैंक खातों में हुए असामान्य लेनदेन करने वालों को बचाना है। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों को उनके दायित्व निभाने से रोकने की कोशिश की जा रही है।
सोमैया ने कहा कि कई धर्मार्थ न्यास शैक्षणिक संस्थान संचालित करते हैं और उनकी आड़ में वे काले धन को सफेद करते हैं। ऐसे शिक्षा माफिया को खत्म करने के लिये ही सरकार ने कुछ प्रावधान किये हैं जिन्हें विपक्ष नहीं देखना चाहता है। उन्होंने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के छापों और तलाशी के कारण बताये जाने पर विपक्ष द्वारा बल दिये जाने का जवाब देते हुए कहा कि आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ जब इनकम टैक्स छापे के पहले किसी को कारण बता कर मंजूरी ली गयी हो। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री दरअसल व्हिसिल ब्लोअर की सुरक्षा करना चाहते हैं।