नयी दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर संवैधानिक संस्थानों को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि लोकपाल और अल्पसंख्यक अयोग जैसे कई महत्वपूर्ण संस्थाओं में लम्बे समय से खाली शीर्ष पदों को भरने के लिए उसने कोई कदम नहीं उठाए हैं जिसके कारण लोगों के हित प्रभावित हो रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव गोगोई ने कहा कि देश में जिन संवैधानिक संस्थानों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा के लिए पिछले सात दशक से लगातार प्रयास किए गए हैं भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने तीन साल में ही उन्हें ध्वस्त कर दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वर्तमान हालात में लोकपाल की नियुक्ति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त बिल अगस्त 27 अगस्त 2013 में पारित किया गया था और जनवरी 2014 में राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे लेकिन भाजपा सरकार इस पद पर नियुक्ति के मामले में टालमटोल कर रही है।
गोगोई ने कहा कि अनुसूचित जाति अयोग, राष्ट्रीय जन जाति आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग और अल्पसंख्यक आयोग जैसे कई महत्वपूर्ण संस्थानों में शीर्ष पद पर नियुक्ति नहीं की गयी है और कांग्रेस ने यह मामला आज भी संसद में उठाया है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने लोकपाल की नियुक्ति के मामले में सरकार से जल्द से जल्द कदम उठाने का आग्रह किया और कहा कि जरूरत के मुताबिक रिकार्ड समय में बिल पारित कराने वाली इस सरकार को लोकपाल की नियुक्ति के लिए ज्यादा समय नहीं लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसी तरह से सरकार को संवैधानिक संस्थानों के शीर्ष पदों पर भी जल्द नियुक्ति करनी चाहिए और लोगों को हो रही समस्याओं का तत्परता से निदान किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि इन आयोगों के जरिए लोगों के हितों का संरक्षण किया जाता है लेकिन सरकार जानबूझकर इन महत्वपूर्ण संस्थानों पर ध्यान नहीं दे रही है और इन्हें कमजोर कर रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि इन संस्थानों को महत्व नहीं दिया जा रहा है। इनके कामकाज को देखने और उनकी निगरानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इन संस्थान में अध्यक्ष के साथ ही दूसरे कई पद लम्बे समय से खाली पड़े हैं गरीब और कमजोरों के हितों की बात करने वाली सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है।
गोगोई ने कहा कि सरकार को पसंद का व्यक्ति मिल जाता है तो नियमों में बदलकर भी नियुक्ति कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसे पद पर नियुक्ति के लिए सरकार ने पहले यही तरीका अपनाया था हालांकि बाद में इस पद पर नियुक्ति नियम के अनुसार ही हुई है।