बीजेपी नेता येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस सरकार बनाने जा रहे हैं। लेकिन सरकार के गठन के पहले राजनीतिक गलियारों में पदों को लेकर कोहराम मचा हुआ है। चूंकि आंकड़े कुछ और भी हो सकते हैं। मतलब कुल मिलाकर सस्पेंस बना हुआ है और तबतक बना रहेगा,जबतक कुमारस्वामी शपथ नहीं ले लेते और उनके साथ दोनों पार्टियों के कुछ मंत्री भी शपथ नहीं ले लेते।
हालांकि खबरें ये भी आ रही हैं कि दोनों पार्टियों की आज जो बेंगलुरु में बैठक होने जा रही है, उसमें डिप्टी सीएम, स्पीकर सहित उन तमाम पदों को लेकर किसी न किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है जिसे लेकर अभी तक फैसला नहीं हो सका है। संभव है कि बीजेपी ने जिस तरह से यूपी में दो डिप्टी सीएम नियुक्त किया है, उस रणनीति को भी कांग्रेस और जेडीएस कर्नाटक में फॉलो करें। इसका फायदा ये होगा कि डिप्टी सीएम पर दोनों पार्टियों में जो रार मची हुई है वो आसानी से सुलझ सकता है। ये भी हो सकता है कि इन पदों के अतिरिक्त कुछ ऐसे मुद्दों पर भी फैसला हो जिसे लेकर दोनों पार्टी चिंतित हैं। किन-किन विधायकों को मंत्री बनाना है, इस मुद्दे पर भी बात हो सकती है।
हालांकि बैठक में पार्टियां चाहे जो रणनीति अपनाएं, ये तय है कि वे 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही मंत्री पद का बंटवारा करेंगी। क्योंकि दोनों पार्टियों को इस बात का एहसास है कि राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और इसका मतलब है कि जनता ने कहीं न कहीं बीजेपी को सरकार बनाने के लिए चुना था। लेकिन गठबंधन की राजनीति में कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार बना ली। इसलिए दोनों पार्टियों को ऐसी रणनीति बनाकर चलनी होगी, जिससे वे लोकसभा चुनाव में जाएं तो जनता को जवाब दे सकें।