मुंबई। भारत में दहेज की आग में कई परिवार जलकर खाक हो गए और कई ऐसी महिलाएं है जो दहेज प्रताड़ना को लोक लाज के लिहाज से सहन करती है। हालांकि दहेज को लेकर भारतीय संविधान में सख्त कानून भी बनाया गया है जिसका कई बार सही तो कई बार गलत तरीके से फायदा उठाने की बाते भी सामने आती रहती है। लेकिन सोमवार (12-6-17) को मुंबई की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के आरोप में एक अलग ही बात कही। कोर्ट ने कहा कि घेरलू जरूरतों को पूरा करने के लिए मांगा गया पैसा दहेज की श्रेणी में नहीं आता।
मुंबई की बोलीवली कोर्ट ने ये बात दहेज प्रताड़ना की मार झेल रहे एक व्यक्ति और उसके परिवार को बरी करते हुए कही। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति की पत्नी के केस को ठोस सबूत नहीं होने की वजह से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर घरेलू सामान के लिए 5 लाख रूपये मांगे थे तो ये आईपीसी की धारा 498A के दायरे में गैर कानूनी मांग नहीं है।
इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में पूरे दो साल बाद एफआईआर दर्ज की गई है। लेकिन केस को दर्ज कराने में देरी क्यों हुई इसका शिकायतकर्ता के पास कोई जबाव नहीं हैं। कोर्ट ने कहा दहेज निषेध कानून की बात करें तो उसमें दहेज उसको कहा गया है जिसमें शादी से पहले या फिर बाद में प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष तौर पर किसी भी तरह की संपत्ति या कोई सामान मांगा गया हो।
बता दें कि भारत में दहेज प्रथा का चलन सबसे अधिक है। यहां पर वर पक्ष वधू पक्ष से शादी के नाम पर दहेज लेता है जिसमें पैसा, जमीन, जायदाद भी शामिल होता है। हालांकि दहेज लेना और दहेज देना दोनों कानूनन जुर्म है लेकर फिर भी ये कुप्रथा अभी भी जारी है।