Archana Tiwari Missing: मध्य प्रदेश की अर्चना तिवारी के लापता होने की गुत्थी अब आंशिक रूप से सुलझ गई है। इंदौर से कटनी जाने के दौरान ट्रेन से गायब हुई अर्चना को आखिरकार 12 दिन बाद उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से सुरक्षित बरामद कर लिया गया है। हालांकि अर्चना मिल गई है, लेकिन इस रहस्यमयी मामले से जुड़े कई सवाल अब भी पुलिस और परिजनों के सामने अनसुलझे हैं।
रक्षाबंधन पर घर लौट रही थी अर्चना- Archana Tiwari Missing
7 अगस्त की रात अर्चना इंदौर से कटनी लौट रही थी। वह इंदौर के एक हॉस्टल में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी और रक्षाबंधन पर घर आ रही थी। उसके पास इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस की AC कोच B3 में बर्थ नंबर 3 का कन्फर्म टिकट था। सीसीटीवी में वह ऑरेंज ड्रेस में बैग और झोला लेकर स्टेशन की ओर जाती दिखाई दी।
रात करीब 10 बजे उसकी चाची से आखिरी बार फोन पर बात हुई थी, जिसमें उसने बताया कि वह भोपाल के पास है।
कटनी नहीं पहुंची, मिला सिर्फ बैग
8 अगस्त की सुबह जब ट्रेन कटनी साउथ स्टेशन पहुंची तो अर्चना ट्रेन से नहीं उतरी। उसका फोन स्विच ऑफ मिला और परिवार में हड़कंप मच गया। परिजनों ने उमरिया तक ट्रेन की तलाशी ली, जहां उसकी बर्थ पर राखी, रुमाल और बच्चों के गिफ्ट वाला बैग जरूर मिला, लेकिन अर्चना का कोई सुराग नहीं था।
इसके बाद जीआरपी ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की और जांच शुरू हुई। चूंकि उसकी आखिरी लोकेशन भोपाल के पास की मिली थी, केस डायरी भोपाल रेलवे पुलिस को सौंप दी गई।
लोकेशन और सीसीटीवी से नहीं मिला कुछ खास
भोपाल, रानी कमलापति और नर्मदापुरम स्टेशनों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, लेकिन कहीं भी अर्चना की कोई स्पष्ट मौजूदगी नहीं दिखी। मोबाइल की आखिरी लोकेशन नर्मदापुरम ब्रिज के पास मिली, जिससे शक गहराया। एनडीआरएफ की टीम ने नर्मदा नदी में सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन वहां से भी कोई सुराग नहीं मिला।
मामले ने तूल पकड़ा और छात्र राजनीति से लेकर सामाजिक संगठनों तक में हलचल मच गई। कांग्रेस के एक युवा नेता ने अर्चना को बहन बताते हुए उसे खोजने वाले को 51 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की थी।
कॉल डिटेल से खुला सिपाही का कनेक्शन
जांच के दौरान अर्चना की कॉल डिटेल्स से एक चौंकाने वाली कड़ी सामने आई। पुलिस की नजर ग्वालियर में तैनात एक सिपाही पर पड़ी, जिससे अर्चना की डेढ़ साल से बातचीत हो रही थी। सिपाही ने माना कि उसने अर्चना के लिए इंदौर से ग्वालियर तक का बस टिकट बुक कराया था, लेकिन वह कभी उससे व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला। उसने दावा किया कि उनकी बातचीत सिर्फ कोर्ट से जुड़े एक मामूली काम के सिलसिले में हुई थी।
हालांकि पुलिस को उसकी बातों पर पूरा यकीन नहीं है और झांसी रोड थाने में उससे घंटों पूछताछ जारी रही। जीआरपी ने सिपाही के इस बयान को जांच का अहम हिस्सा माना है।
लखीमपुर खीरी से मिली, लेकिन राज़ बरकरार
लंबी तलाश के बाद आखिरकार पुलिस को अर्चना लखीमपुर खीरी से मिली। वह सुरक्षित है और अब उससे पूछताछ की जा रही है। परिजनों ने राहत की सांस ली है, लेकिन अब असली सवाल यह है कि वह ट्रेन से गायब होकर वहां तक कैसे पहुंची? क्या वह अपनी मर्जी से गई थी या किसी के दबाव में?
जांच अब भी जारी, कई पेंच फंसे हैं
अर्चना की बरामदगी से एक राहत तो जरूर मिली है, लेकिन केस अब और भी उलझता जा रहा है। सिपाही का टिकट बुक करना, उसकी फोन कॉल्स, बस और ट्रेन के अलग-अलग रूट, और अब लखीमपुर खीरी से बरामदगी ये सभी पहलू पुलिस को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि क्या ये कोई इत्तफाक था या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा?
फिलहाल पुलिस हर ऐंगल से जांच कर रही है और उम्मीद की जा रही है कि अर्चना के बयान के बाद इस रहस्यमयी कहानी से पर्दा उठेगा।