Baghpat News: रात का अंधेरा, श्मशान घाट की खामोशी और जलती चिताओं से उठता धुआं… इन सब के बीच बागपत के एक छोटे से गांव में कुछ ऐसा हो रहा है, जिसे सुनकर किसी का भी दिल थम जाए। यहां लोग कहते हैं कि मुर्दे भी अब सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि श्मशान घाट में अस्थियां रहस्यमयी तरीके से गायब हो रही हैं। हिम्मतपुर सूजती गांव में कुछ महीने से लगातार हो रही इन घटनाओं ने गांववालों को हैरान और डरा दिया है। अब तो यह श्मशान घाट गांववालों के लिए एक रहस्यमयी और डरावनी जगह बन चुका है, जहां रात के अंधेरे में न सिर्फ मुर्दे, बल्कि ज़िंदा लोग भी खौ़फ के साए में जीने को मजबूर हो गए हैं।
गायब हो रही अस्थियां और तंत्र-मंत्र का सामान- Baghpat News
कुछ दिन पहले गांव में एक व्यक्ति का निधन हुआ था। उसकी पारंपरिक अंतिम क्रिया करने के बाद परिवार के लोग जब तीसरे दिन अस्थियां लेने श्मशान गए, तो जो दृश्य सामने आया, वह हैरान करने वाला था। चिता के पास दीपक जल रहे थे, कुछ उपले सुलग रहे थे, और वहां तंत्र-मंत्र की सामग्री बिखरी पड़ी थी, लेकिन अस्थियां गायब थीं।
बीजेंद्र, जिनके भाई का हाल ही में अंतिम संस्कार हुआ था, बताते हैं, “जब हम अस्थियां लेने गए, तो देखा कि चिता के पास कुछ अजीब सा था। शव का एक हिस्सा बाहर था, दीपक जल रहे थे और कुछ अवशेष गायब थे। समझ में नहीं आया कि यह किसने किया।”
गांववालों का डर बढ़ता जा रहा है
यह पहली बार नहीं था जब ऐसी घटनाएं सामने आई थीं। पिछले आठ महीनों से लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। पहले तो ग्रामीणों को लगता था कि यह किसी जानवर का काम होगा, लेकिन जब हर बार चिता के पास पूजा सामग्री, अगरबत्तियां, नींबू और राख का ढेर मिलता, तो गांव वालों के मन में संदेह और डर बढ़ने लगा।
गांववालों ने श्मशान घाट पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए रात में पहरा भी लगाना शुरू कर दिया। लेकिन जब वे सुबह लौटे, तो वही दृश्य देखने को मिला अस्थियां गायब और तंत्र-मंत्र का सामान बिखरा हुआ। अब यह स्थिति गांव में अंधविश्वास और डर का रूप ले चुकी है।
तांत्रिक साधना की अफवाहें
कुछ लोग मानते हैं कि श्मशान पर कोई तांत्रिक साधक काले जादू के लिए मुर्दों की अस्थियों का उपयोग करता है। किसी का कहना है कि श्मशान के दक्षिणी हिस्से में रात को अजीब सी रोशनी दिखाई देती है, जबकि कुछ लोग दावा करते हैं कि वहां से मंत्रोच्चारण जैसी आवाजें आती हैं। हालांकि, इन अफवाहों की कोई ठोस पुष्टि नहीं हो पाई है, फिर भी गांव में डर का माहौल इतना गहरा हो गया है कि अब गांव की महिलाएं सूर्यास्त के बाद श्मशान की दिशा में देखना भी पसंद नहीं करतीं।
गांववालों की बढ़ती बेचैनी
गांव के बुजुर्ग किसान रामपाल सिंह कहते हैं, “हमने तो जिंदगी में बहुत कुछ देखा है, लेकिन कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि चिता से अस्थियां गायब हो जाएं। अब तो हालत ये हो गई है कि जब भी कोई अस्थियां लेने जाता है, तो दो-तीन लोग उसके साथ चलते हैं, डर है कि कहीं कुछ गलत न हो जाए।”
गांव के बच्चे अब श्मशान घाट के पास भी नहीं जाते। शाम होते ही घाट की तरफ जाने वाला रास्ता सुनसान हो जाता है। यह डर अब गांव के बच्चों और युवाओं तक फैल चुका है, और लोग अब श्मशान के पास से गुजरते समय अपनी चाल तेज कर लेते हैं। किसी को दीपक दिख जाता है, तो कोई कहता है कि उसने वहां परछाई को चलते देखा।
ग्राम प्रधान का बयान
ग्राम प्रधान सनोज ने बताया, “पहले तो ऐसी अफवाहें सुनने को मिलती थीं, लेकिन अब घटनाएं सामने आ रही हैं। लोग डर के साए में जी रहे हैं। यह गंभीर मामला है। हम अधिकारियों से मिलकर इस पर कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं, ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके।”
गांववालों का मानना है कि श्मशान घाट में कुछ तांत्रिक साधक अस्थि तंत्र साधना करते हैं। अब यह बहस नहीं बल्कि डर और बेचैनी का मुद्दा बन चुका है। उनका सवाल है, “अगर इस धरती पर मुर्दे भी सुरक्षित नहीं हैं, तो जिंदा लोग कैसे चैन से रह सकते हैं?”
अभी तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं
अब तक इस मामले में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है, लेकिन हिम्मतपुर सूजती का श्मशान घाट अब गांववालों के लिए एक तिलिस्मी जगह बन चुका है। लोग रात के अंधेरे में श्मशान के पास से गुजरते हुए तेज़ी से अपने कदम बढ़ा देते हैं। कोई कहता है कि उसने वहां दीपक जलते देखे, तो कोई दावा करता है कि उसने वहां एक परछाई चलते हुए देखी। अफवाहों का दौर बढ़ता जा रहा है और डर हर घर तक पहुंच चुका है।
सवालों का अंधेरा
अब सवाल यह उठता है कि वह शख्स कौन है जो रात के अंधेरे में श्मशान पहुंचकर अस्थियां उठा ले जाता है? क्या यह सच में तांत्रिकों का काम है, या फिर किसी मानसिकता का नतीजा? इन सवालों के जवाब अभी भी धुएं में लिपटे हुए हैं, जैसे वह धुआं जो श्मशान से हर रात उठता है।
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