Barsati Daku Ki Story: उत्तर प्रदेश की धरती पर बहुत से अपराधी आए और गए, लेकिन कुछ ऐसे भी रहे जिनकी कहानियां आज भी लोगों की जुबां पर हैं। ऐसी ही एक दहशत भरी, मगर दिलचस्प कहानी है बरसाती पासी उर्फ बरसाती डाकू की। ये नाम 70 और 80 के दशक में ऐसा खौफ बन चुका था कि अमेठी से लेकर सुल्तानपुर और अयोध्या तक लोग शाम ढलते ही दरवाज़े बंद कर लेते थे।
लेकिन बरसाती की शुरुआत एक आम आदमी की तरह हुई थी मेहनत-मजदूरी करने वाला एक सीधा-सादा इंसान। फिर ऐसा क्या हुआ कि वो सिस्टम के खिलाफ खड़ा हो गया और बन गया डकैतों का सरगना? चलिए, इस पूरे सफर को समझते हैं।
भाई की हत्या बनी टर्निंग प्वाइंट- Barsati Daku Ki Story
बरसाती का जन्म अमेठी जिले के थोरा गांव में एक बेहद सामान्य परिवार में हुआ था। वह मजदूरी करके जीवन चला रहा था, लेकिन उसकी जिंदगी उस वक्त बदल गई जब एक कार्यक्रम के दौरान उसके भाई की हत्या कर दी गई। उम्मीद थी कि पुलिस इंसाफ दिलाएगी, लेकिन उल्टा उसे थाने से डांटकर भगा दिया गया।
इस अपमान और दुख ने बरसाती को अंदर तक झकझोर दिया। फिर उसने फैसला किया कि अब इंसाफ खुद ही लेना होगा।
हत्या से शुरुआत, फिर बना अपना गैंग
बरसाती ने अपने भाइयों रामचरन, बिर्जू और रघु के साथ मिलकर भाई के कातिल कर्मबली कश्यप को मार डाला। इसके बाद चारों भाई गांव छोड़कर फरार हो गए और जंगलों में जाकर छिपने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी गैंग तैयार की और अपराध की दुनिया में कदम रख दिया।
उनका नेटवर्क इतना बड़ा हो गया कि पुलिस के लिए पकड़ पाना नामुमकिन सा हो गया। 15 सालों तक यूपी पुलिस उनकी तलाश में लगी रही, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।
लूट से पहले भेजता था चिट्ठी
बरसाती डाकू की एक खासियत थी वो लूट करने से पहले चिट्ठी भेजता था। यानी वह पहले से बता देता था कि आज रात किस गांव या किस घर पर हमला होगा। लोग ये जानते हुए भी कुछ नहीं कर पाते थे, क्योंकि वो अपनी गैंग के साथ आता और आसानी से निकल जाता।
उसके नाम का ऐसा खौफ था कि बिना विरोध के लोग लूट सह लेते थे। लेकिन हैरानी की बात ये थी कि वह गरीबों की मदद भी करता था बेटियों की शादी करवाना, जरूरतमंदों को पैसे देना और दबंगों को सबक सिखाना उसके कामों में शामिल था।
गांववालों की नजर में “पुजारी जैसा इंसान”
बरसाती की बहन रानी देवी बताती हैं कि उनके भाई को परिस्थितियों ने डाकू बना दिया। अगर पुलिस समय पर कार्रवाई करती, तो शायद वो आज एक सामान्य जिंदगी जी रहा होता। रानी कहती हैं कि बरसाती पूजा-पाठ करने वाला इंसान था, लेकिन पुलिस ने उन्हें इतना परेशान किया कि पूरा परिवार इसकी कीमत चुकाता रहा।
पुलिस कई बार परिवार के लोगों को उठा ले जाती थी, कई को जेल भी जाना पड़ा। लेकिन अब परिवार की हालत बदल चुकी है एक भाई पुलिस में है, एक कोटेदार है और बाकी शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे हैं।
फिल्म भी बनी थी बरसाती पर
बरसाती डाकू की कहानी पर एक फिल्म भी बनी ‘बरसाती गैंग’, जिसे यूपी के कई सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक्त उसकी कहानी कितनी चर्चित थी।
अब परिवार सामान्य जीवन में
गांव के लोगों का मानना है कि बरसाती गरीबों का मसीहा था। थोरा गांव के राधेश्याम कहते हैं कि भाई की हत्या ने उसे बदल दिया। अब उसका परिवार समाज में इज्जत के साथ रह रहा है। एक भाई प्रधान रह चुका है, और बाकी सदस्य भी सामाजिक रूप से सक्रिय हैं।