Big revelation on child trafficking in Madhya pradesh: जब भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की गिनती की जाती है तो रूहं झकझोर देने वाले आकड़े सामने आते है। आपको जानकर हैरानी होगी कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में असम राज्य सबसे ज्यादा है। हालांकि राजधानी दिल्ली में महिलाओ की स्थिति को इग्नोर नहीं किया जा सकता है लेकिन उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राज्सथान, और मध्य प्रदेश भी महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में कम नहीं है। लेकिन महिलाओं से भी बुरा हाल तो बच्चों का है। चाइल्ड ट्रेफ्रिकिंग के मामलों में कोविड 19 के बाद भारत में तीन गुना मामले बढ़े है।
मध्य प्रदेश के आकड़े डराने वाले
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार पूरे भारत में हर आठ मिनट में एक बच्चा गायब हो जाता है। बच्चों के गायब होने में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है, लेकिन मध्य प्रदेश के आकड़ों ने सबके कान खड़े कर दिए है। अभी हाल ही में एक आकड़ा मध्य प्रदेश से आया है, जिसने सबके पैरों तले से जमीन सरका दी है। दरअसल बीते 4 सालों में मध्य प्रदेश में चाइल्ड ट्रेफिकिंग का गिरोह इस कदर सक्रिय है कि अब तक करीब 58 हजार से ज्यादा बच्चे गुम हो गए है, जिसमें 11 हजार लड़के और 47 हजार लड़कियां शामिल है।
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पूर्व मंत्री ने सरकार से किए तीखें सवाल
लापता बच्चो को लेकर कांग्रेस के पूर्व मंत्री सचिन यादव ने विधानसभा में राज्य सरकार से लापता बच्चों को लेकर तीखे सवाल किए है। उन्होंने पूछा कि बीते 4 सालों में गायब बच्चों के लिए अब तक सरकार ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया है। क्यों इतने संगीन और गंभीर मुद्दे पर भी सरकार मूक दर्शक बन कर देख रही है।
इंदौर है पहले नंबर पर
छोटे बच्चो के गायब होने को लेकर अगर आकड़े निकाले जाये तो बेहद ही हैरान करने वाले है। मध्य प्रदेश के सबसे विकसित जिला इंदौर बच्चो के लिए कब्रगाह बन रहा है। दरअसल आकड़े बताते है कि इंदौर के बाणगंगा और लसूड़िया में सबसे ज्यादा बच्चे गायब हुए है तो वहीं धार जिला बच्चों के गायब होने में दूसरे स्थान पर है।
क्या कहना है सरकार का
मध्य प्रदेश में बीते 2 दशकों के बीजेपी की सरकार है। मोहन यादव सीएम है, लेकिन डबल इंजन की सरकार चलाने का दावा करने वाली बीजेपी महिलाओं की सुरक्षा में ही फिसड्डी साबित हो गई है, तो उनकी डबल इंजन की सरकार किस काम की है। बीजेपी विधायक नीना वर्मा की बातें सुन कर तो आपको बीजेपी सरकार के लिए केवल गुस्सा ही आयेगा। उन्होंने तो मुद्दे को ही भटकाने की कोशिश की, उनका कहना है कि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाये, उनके साथ फैमिली वाले फ्रेंडली बिहेवियर करें। अब जरा कोई उनसे पूछे कि अगर कोई छोटे से मासूम को उसके घर के बाहर से खेलते हुए उठा ले जाता है तो उसमें जिम्मेदार कौन है। राज्य सरकार बच्चों को सुरक्षा देने में पूरी तरह से नाकाम हो गई है, इतना ही नहीं वो अपराधियों पर भी लगाम नहीं लगा सकी है, तो मुद्दे को ही बदल देना, बीजेपी की आदत में शामिल हो गया।
कुछ समय पहले ही मध्य प्रदेश की विधानसभा में बताया गया था कि राज्य में रोजाना 7 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है। जो बेहद ही चौंकाने वाला आकड़ा है। हैरानी की बात है कि एमपी की डबल इंजन की सरकार असल में पूरी तरह से एक फेल सरकार है, न तो राज्य में महिलाएं सुरक्षित है और न ही बच्चें। इन सभी आकडों को देखकर भी सरकार कानों में तेल डालकर गूंगी बहरी बन कर मूक दर्शक बन कर देख रही है।