Bihar Crime News: शेखपुरा जिले के मेहुस थाना क्षेत्र में एक अमानवीय और शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसमें मेहुस थाना प्रभारी प्रवीणचंद्र दिवाकर ने एक ई-रिक्शा चालक प्रदुमन कुमार की न सिर्फ बेरहमी से पिटाई की, बल्कि उसे थाने ले जाकर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया। घटना ने बिहार में पुलिसिया बर्बरता और जातीय भेदभाव के मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
घटना का प्रारंभ- Bihar Crime News
प्रदुमन कुमार, जो रोज ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजारा करता है, 21 जून की शाम करीब साढ़े सात बजे शेखपुरा से सवारी लेकर मेहुस गांव पहुंचा था। सवारी उतारने के बाद वह चौक की ओर बढ़ रहा था, तभी एक बुलेट सवार ने उसे ओवरटेक कर रोका और गालियाँ देने लगा। प्रदुमन को पहले यह समझ में नहीं आया कि वह व्यक्ति कौन था, लेकिन बाद में पता चला कि वह मेहुस थाना प्रभारी प्रवीणचंद्र दिवाकर थे।
थाने में घसीटकर पिटाई
थानेदार ने प्रदुमन को सड़क पर ही रोककर गालियाँ दीं और बिना किसी स्पष्ट कारण के पुलिस वाहन मंगवाकर उसे पकड़वा लिया। इसके बाद प्रदुमन की सरेआम लाठियों से पिटाई की गई। प्रदुमन के मुताबिक, थाने में ले जाने के बाद उसके साथ और भी बेरहमी की गई। थानेदार ने उसकी जाति पूछी और जब प्रदुमन ने खुद को ब्राह्मण बताया, तो थानेदार ने कथित तौर पर कहा कि ब्राह्मणों को देखना भी पसंद नहीं है। इसके बाद उन्होंने प्रदुमन से जमीन पर थूक चटवाने की हरकत की, जो न केवल मानसिक उत्पीड़न था, बल्कि पुलिसिया बर्बरता की पूरी पराकाष्ठा थी।
प्रदुमन की चोटें और इलाज
प्रदुमन को गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद उसे शेखपुरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके शरीर के कई हिस्सों से चमड़ी फट गई थी। परिजनों और स्थानीय विधायक सुदर्शन कुमार को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की। विधायक ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की अपील की है।
पुलिस की प्रतिक्रिया
एएसपी डॉ. राकेश ने मामले की जांच शुरू की और प्रारंभिक जांच में आरोपों को गंभीर पाया। इसके बाद थानेदार प्रवीणचंद्र दिवाकर को तत्काल पद से हटा दिया गया। एसपी बलिराम कुमार चौधरी ने इस घटना की जांच के आदेश दिए और पुलिस ने आरोपी थानेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। एसपी ने कहा कि किसी को भी कानून को हाथ में लेने का अधिकार नहीं है और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
निलंबन और आरोपी का बचाव
मामले के सामने आने के बाद, एसपी ने थानेदार प्रवीणचंद्र दिवाकर को निलंबित कर दिया और कहा कि इस घटना को लेकर विधिवत जांच की जाएगी। निलंबित थानेदार का कहना था कि वह गश्त कर रहे थे और ई-रिक्शा चालक प्रदुमन ने महिला कांस्टेबलों के बारे में अभद्र टिप्पणी की थी। हालांकि, प्रदुमन ने इस आरोप को खारिज किया और कहा कि उसे बिना किसी कारण के पीटा गया।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार संगठनों और कानूनविदों ने कड़ी निंदा की और पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने मांग की कि आरोपी थानेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाए और उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए। इसके अलावा, प्रदुमन को सरकारी मुआवजा और सुरक्षा देने की भी मांग की गई। इस घटना ने बिहार के पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और जातीय भेदभाव के मुद्दे को फिर से उजागर किया।