Bihar News: बिहार के नवादा जिले से आई यह खबर न सिर्फ अंधविश्वास की भयावहता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे भीड़तंत्र और प्रशासनिक लापरवाही मिलकर किसी की जिंदगी तबाह कर सकते हैं। नवादा के हिसुआ थाना क्षेत्र के पांचूपर मोहल्ला में 55 वर्षीय बुजुर्ग दंपती को डायन बताकर गांव वालों ने ऐसी दरिंदगी का शिकार बना डाला कि पति की मौत हो गई और पत्नी जिंदगी की जंग लड़ रही है।
डीजे बंद हुआ, और शक में शुरू हो गई क्रूरता- Bihar News
मामला मंगलवार रात का है। गांव के मोहन मांझी के घर छठियार का कार्यक्रम चल रहा था। जश्न का माहौल था, डीजे बज रहा था, लेकिन तकनीकी वजहों से बार-बार डीजे बंद हो रहा था। बस यहीं से अंधविश्वास की चिंगारी भड़क उठी। लोगों ने इसे किसी “डायन के असर” से जोड़ दिया और शक की सुई पास की ही एक बुजुर्ग महिला पर टिक गई। आरोप लगाया गया कि महिला “डायन” है और उसी के कारण बार-बार रुकावटें आ रही हैं।
आधी रात को पहुंची भीड़, अगली सुबह बरपाया कहर
मंगलवार रात मामला जैसे-तैसे शांत हो गया, लेकिन बुधवार सुबह हालात बेकाबू हो गए। दर्जनों लोग उस बुजुर्ग महिला और उसके पति के घर पहुंच गए। भीड़ ने पहले उनके बाल जबरन काटे, फिर सिर पर चूना पोत दिया। इसके बाद दोनों को अर्धनग्न करके गले में जूतों-चप्पलों की माला पहनाई और पूरे मोहल्ले में घुमाया गया।
यही नहीं, उनकी बुरी तरह से पिटाई की गई। महिला को जबरन पेशाब पिलाया गया। इस अमानवीय बर्बरता में बुजुर्ग पति की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे तुरंत सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
जिंदा जलाने की थी योजना, वक्त रहते पहुंची पुलिस
बुधवार को हालात इतने बिगड़ चुके थे कि भीड़ ने महिला को जिंदा जलाने की तैयारी कर ली थी। उसी वक्त किसी जागरूक ग्रामीण ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर महिला को बचाया और शव को कब्जे में लिया।
हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि मंगलवार रात ही 112 नंबर पर पुलिस को कॉल किया गया था, लेकिन जब पुलिस मौके पर आई और भीड़ देखी, तो बिना कोई कार्रवाई किए लौट गई। इससे हालात और बिगड़ गए।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई, 17 गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक अभिनव धीमान ने बताया कि इस मामले में मुख्य आरोपी मोहन मांझी समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 9 महिलाएं शामिल हैं। गिरफ्तार लोगों के खिलाफ डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 1999 के तहत कार्रवाई की जा रही है।
अंधविश्वास नहीं, यह सामाजिक बीमारी है
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक सोच की गंभीर खामी को भी दर्शाती है। बिहार में भले ही डायन प्रथा को रोकने के लिए कानून हो, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कई ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग विज्ञान और तर्क से ज्यादा अंधविश्वास पर भरोसा करते हैं।
इस भयावह घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हम सच में 21वीं सदी में जी रहे हैं, या अब भी उस दौर में हैं जहां किसी को डायन कह देना उसकी जिंदगी छीन लेने के बराबर होता है।