IPS Y Puran Kumar: हरियाणा पुलिस के तेज-तर्रार और विवादों में घिरे आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे। 7 अक्टूबर 2025 को चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास पर उन्होंने आत्महत्या कर ली। उनका निधन न सिर्फ पुलिस महकमे, बल्कि प्रशासनिक दुनिया के लिए एक बड़ा झटका है। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, और उन्होंने अपने पूरे करियर में ईमानदारी और निष्पक्षता का झंडा बुलंद किया। लेकिन उनकी मौत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वह प्रशासनिक दबाव और मानसिक तनाव के शिकार हुए?
वाई. पूरन कुमार: एक निष्कलंक अधिकारी की कहानी (IPS Y Puran Kumar)
वाई. पूरन कुमार हरियाणा कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। वह सख्त, निर्भीक और बेबाक अफसर के रूप में जाने जाते थे। अपने करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। रोहतक रेंज के आईजीपी, कानूनी व्यवस्था के आईजीपी, और हाल ही में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (PTC) सुनारिया, रोहतक के आईजी के पद पर तैनात रहे। उनका काम हमेशा अपनी ईमानदारी और कड़ी मेहनत के लिए पहचाना गया। हालांकि, 2025 के मध्य में सरकार ने उन्हें ट्रांसफर कर दिया था और उन्हें PTC सुनारिया भेज दिया था। यह उनकी आखिरी तैनाती थी।
आत्महत्या: सवालों के घेरे में
7 अक्टूबर 2025 की सुबह, चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित उनके सरकारी आवास से गोली चलने की आवाज आई। जब पुलिस टीम मौके पर पहुंची, तो उन्होंने वाई. पूरन कुमार को खून से लथपथ पाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारी थी। उस समय उनकी पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत कौर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान यात्रा पर थीं। चंडीगढ़ पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और फिलहाल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
वाई. पूरन कुमार के करियर की छायाएँ
वाई. पूरन कुमार का करियर हमेशा विवादों और संघर्षों से घिरा रहा। वे प्रशासनिक फैसलों के खिलाफ खुलकर अपनी आवाज उठाते थे। उन्होंने कई बार अपने विभाग के भीतर की भेदभावपूर्ण और गैर-कानूनी गतिविधियों के खिलाफ संघर्ष किया।
- जुलाई 2020 में उन्होंने तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रंजिश और जातीय भेदभाव के चलते टारगेट किया जा रहा था। इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें लगातार ऐसी पोस्टिंग दी जा रही हैं, जो उनके कैडर से बाहर हैं।
- वाई. पूरन कुमार ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा पर भी पक्षपाती जांच रिपोर्ट तैयार करने का आरोप लगाया। इसके अलावा, उन्होंने हरियाणा हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल कीं, जिसमें उन्होंने पुलिस विभाग के भीतर पद सृजन, तबादलों और आवास आवंटन जैसे प्रशासनिक निर्णयों की वैधता पर सवाल उठाए थे।
- उन्होंने 2024 में डीजीपी शत्रुजीत कपूर के खिलाफ चुनाव आयोग को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने हरियाणा पुलिस सेवा (HPS) अधिकारियों के अस्थायी ट्रांसफर के आदेशों की जांच की मांग की थी।
प्रशासनिक उत्पीड़न का सामना
वाई. पूरन कुमार ने बार-बार कहा कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही थी और उनकी सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस हो रहा था। उन्होंने अपनी शिकायतों को दबाने का आरोप लगाया और यहां तक कि हरियाणा के डीजीपी से अपनी सुरक्षा स्थिति का आकलन करने की मांग की थी।
यह सब बताते हुए वे कई बार प्रशासनिक स्तर पर खुद को अकेला और असहाय महसूस कर रहे थे। उनकी शिकायतों का न तो उचित समाधान मिला और न ही उनके आरोपों पर कोई ठोस कदम उठाया गया।
ईमानदारी का बलिदान
वाई. पूरन कुमार का पूरा करियर ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए संघर्ष का प्रतीक रहा। वे हमेशा कहते थे कि पुलिस सेवा में निष्पक्षता और संवैधानिक मूल्य सर्वोपरि हैं। हालांकि, इन आदर्शों के लिए लड़ते-लड़ते वे खुद सिस्टम के भीतर अकेले पड़ गए। उनकी मौत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उनके साथ प्रशासनिक स्तर पर कुछ गलत हुआ?
जांच और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
चंडीगढ़ पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है। हालांकि, इस मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका उत्तर ढूंढना पुलिस के लिए एक चुनौती बन गया है। वाई. पूरन कुमार की पत्नी अमनीत कौर के लौटने के बाद बयान दर्ज किए जाएंगे। हरियाणा सरकार ने इसे एक “दुर्भाग्यपूर्ण घटना” करार दिया है, लेकिन पुलिस महकमे में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या वाई. पूरन कुमार प्रशासनिक दबाव और मानसिक तनाव का शिकार हो गए थे?
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