Jhansi News: उत्तर प्रदेश के झाँसी से सामने आया एक चौंकाने वाला मामला एक बार फिर से इस बहस को हवा देता है कि क्या एससी-एसटी एक्ट जैसे कड़े कानूनों का दुरुपयोग समाज के निर्दोष लोगों की ज़िंदगी को तबाह कर रहा है? यहां एक युवक आकाश पांडेय को झूठे आरोपों में तीन साल से ज्यादा जेल में रहना पड़ा। न सिर्फ उसकी पढ़ाई छूट गई, बल्कि जेल के दौरान उसके माता-पिता की भी मौत हो गई। अब कोर्ट ने उसे निर्दोष करार दे दिया है, लेकिन उसकी जिंदगी जो उजड़ गई, क्या वो फिर से पटरी पर लौट पाएगी?
पूरा मामला क्या था? Jhansi News
मामला 8 जून 2018 का है। झाँसी निवासी मातादीन अहिरवार की बेटी की लाश उसके घर में फांसी पर लटकी मिली थी। इस घटना के बाद मातादीन ने दावा किया कि उसकी बेटी ने आत्महत्या की है और इसके पीछे आकाश पांडेय और उसका ममेरा भाई अंकित मिश्रा जिम्मेदार हैं। कोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज हुई जिसमें छेड़छाड़, आत्महत्या के लिए उकसाना, SC/ST एक्ट और POCSO एक्ट शामिल थे।
पुलिस जांच में आकाश का भाई सचिन निर्दोष पाया गया, लेकिन आकाश और अंकित को जेल भेज दिया गया। अंकित को एक साल बाद ज़मानत मिल गई, लेकिन आकाश को तीन साल से ज्यादा वक्त सलाखों के पीछे बिताना पड़ा।
जेल में बर्बाद हुई जिंदगी
जब केस का ट्रायल चल रहा था, उस दौरान आकाश के मां-बाप का निधन हो गया। रिपोर्ट के मुताबिक, बेटे की गिरफ्तारी और समाज की बातें शायद वे सहन नहीं कर सके। दूसरी तरफ, आकाश की पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी। घर की ज़मीन बिक गई और सारी जमा-पूंजी कानूनी लड़ाई में खत्म हो गई।
मेरे साथ जो व्यक्ति खड़े हैं उनका नाम – आकाश पांडेय है। अब इनके दुःख की दर्द भरी दास्ताँ सुनिए—
– आकाश पांडेय जब ITI कर रहे थे तब उन्हें झूठे SC-ST एक्ट के केस में गिरफ्तार कर लिया गया।
– आकाश पांडेय अपने जीवन के 3 साल 18 दिन झूठे SC-ST एक्ट के केस में जेल में रहे
– ट्रायल… pic.twitter.com/TtRYp9n8tF
— Shubham Shukla (@ShubhamShuklaMP) September 13, 2025
अब जाकर, सात साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया कि लड़की ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उसकी हत्या की गई थी, और ये हत्या उसके ही घरवालों ने मिलकर की थी। कोर्ट ने इस मामले को झूठा करार देते हुए मातादीन पर झूठे केस दर्ज कराने और सबूत गढ़ने के आरोप में केस दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही, लड़की की मौत के बाद परिवार को जो मुआवज़ा मिला था, उसे भी वसूलने का निर्देश दिया गया है।
“हम बाहर तो आ गए हैं, पर जिंदगी वैसी नहीं रही”
फैसले के बाद कोर्ट में आकाश और अंकित दोनों रो पड़े। आकाश ने कहा, “जेल से बाहर आना कोई बड़ी बात नहीं है, असली सज़ा तो बाहर मिल रही है। लोग अब भी शक की नजरों से देखते हैं।” उसने बताया कि आज वो सिर्फ ₹6,000 महीने की नौकरी कर पा रहा है। जबकि अगर उसकी ITI की पढ़ाई पूरी होती तो वह कहीं बेहतर स्थिति में होता।
उधर अंकित की भी ज़िंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई। डिफेंस में नौकरी की तैयारी कर रहा था, लेकिन केस लगते ही उसे बाहर कर दिया गया।