Kaushambi News: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के रामबाबू आत्महत्या कांड में नया मोड़ आया है। जिस रेप और पॉक्सो केस में रामबाबू के बेटे धुन्नू उर्फ सिद्धार्थ तिवारी को आरोपी बना कर जेल भेजा गया था, अब उसी मामले में पुलिस ने कई महत्वपूर्ण धाराओं को हटा दिया है। इस घटनाक्रम ने पूरे जिले में हलचल मचा दी है, खासकर जब यह सामने आया कि पीड़िता ने अपने बयान में कहा था कि उसने झूठा आरोप अपनी मां के दबाव में लगाया था। इस बयान के बाद, कोर्ट ने सिद्धार्थ तिवारी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
मामला क्या था? (Kaushambi News)
कौशांबी जिले में 8 साल की बच्ची से रेप का आरोप सिद्धार्थ तिवारी पर लगा था। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए धुन्नू उर्फ सिद्धार्थ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और उसे जेल भेज दिया। इस घटना के बाद रामबाबू तिवारी, जो आरोपी के पिता थे, ने अपने बेटे की बेगुनाही की गुहार लगाई, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। निराश होकर रामबाबू ने ज़हर खाकर अपनी जान दे दी।
ये है कौशांबी के रामबाबू तिवारी के केस की सच्चाई।सुनेंगे तो मानवता के कंधे शर्म से झुक जाएंगे।
ज़मीन के विवाद में आठ साल की बच्ची का इस्तेमाल किया गया। उससे बलात्कार की झूठी कहानी कहलाई गई।
उस मासूम ने मजिस्ट्रेट के सामने सब कुछ बयां कर दिया कि जो उसकी मां ने सिखाया था, वही… pic.twitter.com/2LrqlwFUco
— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) June 10, 2025
रामबाबू की आत्महत्या और उसके आरोप
रामबाबू की मौत से पहले उसने अपने शरीर पर लिखकर प्रधान भूपनारायण पाल पर गंभीर आरोप लगाए थे। रामबाबू का कहना था कि यह सब चुनावी रंजिश के चलते किया गया और उसके बेटे को झूठे आरोप में फंसाया गया था। इसके बाद परिजनों ने रामबाबू के शव को नेशनल हाइवे-2 पर रखकर चक्काजाम किया। इस दौरान पुलिस और परिजनों के बीच तीखी झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया। इस घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
मामला बढ़ने के बाद एसपी राजेश कुमार ने इस पूरे मामले में कार्रवाई की। पथराव चौकी इंचार्ज आलोक कुमार और एसआई कृष्णास्वरूप को निलंबित कर दिया, वहीं सैनी थाना अध्यक्ष बृजेश करवरिया को लाइन हाज़िर कर दिया गया। मामले की विवेचना अब कड़ाधाम थाना प्रभारी धीरेंद्र कुमार को सौंप दी गई। विवेचक ने 164 के बयान की समीक्षा की, जिसमें पीड़िता ने स्वीकार किया कि उसने अपनी मां के दबाव में झूठा आरोप लगाया था। इसके बाद, पुलिस ने धारा 376 और पॉक्सो एक्ट को हटा दिया।
कोर्ट का आदेश और आरोपी की रिहाई
जब मामले में धारा 376 और पॉक्सो को हटा दिया गया, तो आरोपी सिद्धार्थ तिवारी के वकील अविनाश कुमार त्रिपाठी ने एसीजेएम कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की। कोर्ट ने उस अर्जी को मंजूर करते हुए आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अब, यह सवाल उठता है कि अगर पहले ही 164 के बयान का सही तरीके से अवलोकन किया गया होता और विवेचना पूरी तरह से ईमानदारी से की गई होती, तो शायद रामबाबू की जान बच सकती थी।
वकील का बयान
मामले के वकील अविनाश कुमार त्रिपाठी ने कहा, “लोहदा कांड में पीड़िता के 164 के बयान से यह स्पष्ट हुआ कि न तो धारा 376 और न ही पॉक्सो एक्ट की कोई धारा बनती है। इसलिए हमने न्यायालय में धारा 323 और 504 में जमानत अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। यह असत्य पर सत्य की जीत है।”