Lucknow News: लखनऊ में एक बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा हुआ है, जिसमें श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर प्रा. लि. कंपनी के डायरेक्टर का नाम सामने आया है। आरोपी डायरेक्टर ने ही साइबर जालसाजों के गिरोह के रुपयों का प्रबंधन किया था। इस गिरोह के सदस्य कंपनी के कॉरपोरेट अकाउंट में डिजिटल अरेस्ट और अन्य साइबर फ्रॉड से करोड़ों रुपये मंगवा रहे थे। इन ट्रांजेक्शन्स के लिए कंपनी के डायरेक्टर को क्रिप्टोकरेंसी में कमिशन भी दिया जाता था। इस गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एसटीएफ ने आरोपी डायरेक्टर समेत एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।
साइबर ठगी की कहानी: रिटायर्ड वैज्ञानिक से 1.29 करोड़ रुपये की ठगी- Lucknow News
साइबर फ्रॉड का शिकार हुए शुकदेव नन्दी, जो भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से रिटायर्ड वैज्ञानिक हैं, को साइबर जालसाजों ने तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। ठगों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर उन्हें विश्वास में लिया और कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल ह्यूमन ट्रैफिकिंग और ऑनलाइन फ्रॉड में हो रहा है। बाद में एक और साइबर जालसाज ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए पीड़ित से बात की। इसके बाद जेल जाने का डर दिखाकर ठगों ने शुकदेव नन्दी से 1.29 करोड़ रुपये साइबर जालसाजों के खाते में ट्रांसफर करवा लिए। जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ, तब उन्होंने बरेली स्थित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
एसटीएफ की कार्रवाई और गिरोह का खुलासा
एसटीएफ ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए 5 जुलाई को गोमतीनगर स्थित ग्वारी गांव के पास चार साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपितों में श्याम कुमार, रजनीश द्विवेदी, सुधीर कुमार चौरसिया और महेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ चंदन सिंह शामिल हैं। इन आरोपितों से पूछताछ के दौरान पता चला कि शुकदेव नन्दी से 1.29 करोड़ रुपये श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर के कॉरपोरेट अकाउंट में मंगाए गए थे। जांच के दौरान यह भी पता चला कि कंपनी के डायरेक्टर प्रदीप कुमार सिंह ने इन रुपयों को बंटवाया और इसके बदले उसे क्रिप्टो करेंसी (USDT) में कमीशन मिलता था। आरोपितों के पास से कई पैन कार्ड, आधार कार्ड और क्रिप्टो करेंसी वॉलेट के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।
क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल और गिरोह का नेटवर्क
प्रदीप कुमार सिंह ने खुलासा किया कि गिरोह के सदस्य बाइनेंस ऐप के जरिए USDT भेजते थे और इस डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल करके ठगों की कमाई को डिजिटल वॉलेट में ट्रांसफर किया जाता था। इसके अलावा, आरोपित ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्य महफूज, जो वजीरगंज के रिवर बैंक कॉलोनी में रहते हैं, को भी पकड़ा गया। महफूज ने इंडियन बैंक में एक खाता खोला था और अब तक इस खाते में 9 लाख रुपये ट्रांसफर किए जा चुके थे। एसटीएफ गिरोह के अन्य सदस्यों और क्रिप्टो वॉलेट के बारे में जानकारी जुटा रही है।
साइबर फ्रॉड का अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
आशंका जताई जा रही है कि इस गिरोह के तार कंबोडिया, चीन और अन्य देशों से जुड़े हो सकते हैं। साइबर ठगी की इस नई शैली में ठग रुपये को क्रिप्टो करेंसी में बदलकर ट्रस्ट वॉलेट में ट्रांसफर करते थे। गिरोह के मुख्य सदस्य अंकित और दीपक की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।