Maharashtra News: महाराष्ट्र के उल्हासनगर से एक बेहद चौंकाने वाली खबर आई है। यहाँ छेड़छाड़ के एक मामले में जेल से रिहा हुए अपराधी ने ऐसा जश्न मनाया मानो कोई बहुत ही बहादुरी और गर्व का काम कर के जेल से बाहर आया हो। खबर के मुताबिक, रिहा होते ही आरोपी ने अपने समर्थकों के साथ ने न सिर्फ मोटरसाइकिल जुलूस निकाला, बल्कि पीड़िता के घर के सामने ढोल-नगाड़े बजाकर और पटाखे फोड़कर खुलेआम जश्न भी मनाया। इस घटना के बाद महाराष्ट्र की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। साथ ही, पीड़िता और उसका परिवार भी इस घटना से डरा हुआ है।
ये है पूरा मामला – Maharashtra News
ये सारी घटना 27 अप्रैल 2025 की रात की है, जब उल्हासनगर के कैंप 2, रमाबाई टेकड़ी इलाके में रोहित बिपिन झा, आशीष उर्फ सोनमणि बिपिन झा, हंसु झा और बिट्टू यादव ने एक घर का दरवाजा तोड़कर दो युवतियों के साथ छेड़छाड़ की। पीड़िताओं के कपड़े फाड़ने और मारपीट की वारदात भी सामने आई। जिसके बाद, गुस्साए स्थानीय लोगों ने आरोपियों की पिटाई की, और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। रोहित बिपिन झा को हाल ही में आधारवाड़ी जेल से जमानत मिली, और रिहा होते ही उसके साथियों ने ऐसा तमाशा किया कि कानून की धज्जियां उड़ गईं।
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महाराष्ट्र: जेल से छूटते ही पीड़ितों के सामने निकाला जुलूस
दो बहनों से छेड़छाड़ के आरोपी रोहित झा ने निकाला जुलूस
पीड़िता के घर के सामने ढोल-ताशे बजवाए और पटाखे भी फोड़े#Maharashtra | Maharashtra | #ViralVideo
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पीड़िता के घर के सामने ढोल-ताशे बजाए
रोहित के समर्थकों ने मोटरसाइकिल रैली निकाली और पीड़िता के घर के सामने ढोल-ताशे बजाए, पटाखे फोड़े। इस जुलूस में आशीष उर्फ सोनमणि बिपिन झा, अब्दुल सोहेल, आरिफ मोहम्मद सैय्यद, सुमित आनंद गायकवाड़, परशु सदाशिव सनपाल, रेखा बिपिन झा, सागर सुरदकर और कई अन्य लोग शामिल थे। इस जश्न का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देखने के बाद लोगों में गुस्सा भड़क उठा। पीड़िता के परिवार को डर के साये में जीने को मजबूर कर दिया गया, और स्थानीय लोग पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग करने लगे।
हरकत में आई पुलिस
पुलिस उपायुक्त सचिन गोरे और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विष्णु तम्हाणे ने मामले को गंभीरता से लिया। वायरल वीडियो के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता 2023 की धारा 74, 75, 76, 351(2)(3), 352, 115(2), 189(2), 190, 191(1)(3), 223, 285, शस्त्र अधिनियम की धारा 37(1)(3), 135, 142 और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम 1951 के तहत दो मामले (420/2025 और 704/2025) दर्ज किए। गैरकानूनी जमावड़े, बिना अनुमति रैली निकालने और सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध करने जैसे आरोपों के तहत कार्रवाई शुरू हो चुकी है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें भेजी गई हैं।
स्थानीय लोगों ने पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई की तारीफ की है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये काफी है? इस तरह की घटनाएं समाज में कानून के प्रति भरोसा कम करती हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जब पीड़िता के घर के सामने ही अपराधी खुलेआम जश्न मना सकते हैं, तो आम इंसान की सुरक्षा का क्या? उल्हासनगर की ये घटना एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कानून को और सख्त करने की जरूरत है। अपराधियों को बेखौफ होने से रोकना होगा, ताकि कोई भी पीड़ित परिवार डर के साये में न जीए।