Pollachi Gangrape Case: तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में एक ऐतिहासिक फैसले के तहत 6 साल बाद 9 दोषियों को उम्रभर की सजा सुनाई गई है। विशेष महिला अदालत की न्यायाधीश आर. नंदिनी देवी ने इन आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें मरते दम तक उम्रकैद की सजा दी। साथ ही, अदालत ने पीड़ितों को 85 लाख रुपए का मुआवजा भी देने का आदेश दिया। इस फैसले से न केवल न्याय मिला, बल्कि यह घटना भी न्यायिक इतिहास में एक मील का पत्थर बन गई है।
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दोषियों की सजा और मुआवजे का ऐलान- Pollachi Gangrape Case
इन 9 दोषियों में रिश्वंथ उर्फ एन सबरीराजन, के थिरुनावुक्कारासु, एम सतीश, टी वसंतकुमार, आर मणिवन्नन उर्फ मणि, पी बाबू उर्फ ‘बाइक’ बाबू, के अरुलानंथम, टी हारोनिमस पॉल और एम अरुणकुमार शामिल हैं। इन आरोपियों की उम्र 30 से 39 साल के बीच बताई गई है। इन सभी आरोपियों को सलेम सेंट्रल जेल से अदालत में लाया गया था। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376D (गैंगरेप) और 376(2)(N) (एक महिला से बार-बार गैंगरेप) के तहत इन्हें सजा सुनाई गई। इसके अलावा, अदालत ने इन आरोपियों पर 1.5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
कैसे खुलासा हुआ था पोल्लाची यौन उत्पीड़न केस
यह मामला फरवरी 2019 में सामने आया था, जब एक 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने अपनी शिकायत में बताया था कि कुछ युवक उसे एक कार में बैठाकर घूमने के बहाने बाहर ले गए और वहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। इस कृत्य का वीडियो भी बनाया गया था, जिसे बाद में ब्लैकमेलिंग के रूप में इस्तेमाल किया गया। यह मामला सिर्फ एक लड़की का नहीं था, बल्कि बाद में पता चला कि ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं। आरोपी युवक फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए लड़कियों से दोस्ती करते थे और फिर उन्हें अकेला पाकर उनका यौन उत्पीड़न करते थे। इसके बाद वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था।
100 से अधिक लड़कियां बनीं शिकार
सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि इस गैंग के द्वारा 100 से ज्यादा लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाया गया था। इन पीड़िताओं में अधिकांश स्कूल और कॉलेज की छात्राएं थीं, लेकिन वे सामाजिक डर के कारण अपनी पीड़ा का खुलासा नहीं कर पाईं। आखिरकार एक लड़की ने हिम्मत जुटाकर अपने परिजनों को बताया, जिसके बाद इस मामले की शिकायत पुलिस में की गई और जांच शुरू की गई।
सियासी बयानबाजी और फैसले का स्वागत
पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में कोर्ट के फैसले का स्वागत तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और विपक्षी नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी ने किया। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि दोषियों को सजा दिलाने से तमिलनाडु की जनता को न्याय मिला है, और जिन लोगों ने आरोपियों को बचाने की कोशिश की थी, उन्हें शर्म आनी चाहिए। पलानीस्वामी ने भी पुलिस की त्वरित कार्रवाई और सीबीआई जांच की सराहना की और इसे पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।
सीबीआई की महत्वपूर्ण भूमिका
इस मामले की शुरुआत में स्थानीय पुलिस द्वारा जांच की जा रही थी, लेकिन लोगों के विरोध और नाराजगी के बाद इसे सीबीआई के हवाले किया गया। सीबीआई ने इस मामले की पूरी तफ्तीश की और विस्तृत चार्जशीट दाखिल की। विशेष लोक अभियोजक जिशा के अनुसार, इस मामले में एक भी गवाह मुकरा नहीं हुआ और आठ पीड़िताओं ने गवाही दी, जिनकी पहचान गुप्त रखी गई थी।