Punjab Drug Case: पंजाब में नशा अब सिर्फ एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध का रूप ले चुका है। ताज़ा NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) रिपोर्ट ने राज्य की एक डरावनी सच्चाई को उजागर किया है कि यहां नशा करने वालों से कहीं ज्यादा लोग नशा बेच रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में प्रति लाख जनसंख्या पर जहां 12.4 मामले नशे के सेवन के दर्ज हुए, वहीं ड्रग्स तस्करी के 25.3 मामले दर्ज किए गए। यानी नशा करने वालों की तुलना में लगभग दो गुनी संख्या तस्करी में पकड़े गए लोगों की है। यह आंकड़ा दिखाता है कि पंजाब में नशे का कारोबार एक सिस्टमेटिक नेटवर्क की तरह फैलता जा रहा है, और लोग खुद को नशे के आदी बनाने से पहले, इसे बेचने वाले बनते जा रहे हैं।
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ओवरडोज़ से मौतों में भी पंजाब सबसे ऊपर- Punjab Drug Case
2023 में पूरे देश में नशीले पदार्थों के ओवरडोज़ से 654 मौतें दर्ज हुईं, जिनमें सबसे ज़्यादा 89 मौतें अकेले पंजाब में हुईं। यह लगातार दूसरा साल है जब पंजाब इस शर्मनाक आंकड़े में सबसे आगे रहा। हालांकि यह संख्या पिछले साल के मुकाबले (144 मौतें) थोड़ी कम है, मगर ये किसी भी सूरत में राहत की बात नहीं कही जा सकती।
मध्य प्रदेश (85 मौतें) और राजस्थान (84 मौतें) भी इस लिस्ट में शामिल रहे, लेकिन पंजाब की स्थिति अब भी सबसे गंभीर बनी हुई है।
हिमाचल भी पीछे नहीं, नशे की चपेट में पहाड़
पंजाब से सटा हुआ हिमाचल प्रदेश भी अब इस नशे के नेटवर्क से अछूता नहीं रहा। NCRB की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में यहां NDPS एक्ट के तहत कुल 2,146 मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इसमें से 1,599 मामले ड्रग्स तस्करी से जुड़े थे और सिर्फ 547 नशा सेवन से।
यहां भी प्रति लाख जनसंख्या पर तस्करी के 21.3 और सेवन के 7.3 मामले सामने आए। पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा से सटे होने की वजह से हिमाचल अब ड्रग ट्रैफिकिंग का नया रास्ता बनता जा रहा है।
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ड्रग्स तस्करी के मामलों में पंजाब देशभर में नंबर एक है, लेकिन NDPS (नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस) कानून के तहत दर्ज कुल मामलों की बात करें तो पंजाब तीसरे नंबर पर आता है। 2023 में यहां 11,589 मामले दर्ज हुए, जो केरल (30,697 मामले) और महाराष्ट्र (15,610 मामले) से कम हैं।
हालांकि इन राज्यों में ज्यादातर केस नशा करने से जुड़े हैं, न कि तस्करी से। ये दर्शाता है कि जहां पंजाब और हिमाचल जैसे राज्य सप्लाई चेन का हिस्सा बनते जा रहे हैं, वहीं केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्य ज़्यादा उपभोक्ता बनते जा रहे हैं।
खतरे की घंटी
NCRB की यह रिपोर्ट साफ इशारा करती है कि पंजाब में नशा अब एक आम लत नहीं, बल्कि माफियाओं के हाथों में पल रही एक साजिश बन चुका है। लोगों के पास रोजगार नहीं, लेकिन तस्करी का रास्ता खुला है और यही सबसे बड़ा खतरा है।
अब सवाल यह है कि क्या सरकारें इस पर सख्त एक्शन लेंगी? या फिर पंजाब का भविष्य यूं ही नशे की आग में जलता रहेगा?