SDM Rape case: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां ऊना सदर के एसडीएम विश्वमोहन देव चौहान पर एक महिला ताइक्वांडो खिलाड़ी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। युवती का कहना है कि एसडीएम ने उससे रेप, ब्लैकमेल और धमकी दी। केस दर्ज हुए एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन आरोपी अब तक फरार है, और पुलिस की टीमें उसे पकड़ने में नाकाम रही हैं।
केस की शुरुआत कैसे हुई? SDM Rape case
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि 10 अगस्त को वह एसडीएम के बुलावे पर उनके ऑफिस गई थी। वहां, एसडीएम ने अपने निजी चैंबर में उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद 20 अगस्त को उन्होंने उसे सरकारी रेस्ट हाउस में बुलाया, जहां फिर से शोषण हुआ। पीड़िता के मुताबिक, एसडीएम ने उसे गलत नाम और पहचान के साथ रेस्ट हाउस में एंट्री करने के लिए मजबूर किया, और बाद में उसे ब्लैकमेल भी किया।
धमकी और ब्लैकमेल की कहानी
रेस्ट हाउस में जब पीड़िता ने विरोध किया, तो एसडीएम ने 10 अगस्त की आपत्तिजनक वीडियो दिखाकर धमकाया और कहा कि अगर वो कुछ बोलेगी, तो वीडियो वायरल कर दी जाएगी। आरोपी ने पीड़िता को शादी का झांसा भी दिया, लेकिन जब युवती ने इस बारे में दोबारा बात की, तो एसडीएम ने साफ कहा कि उसकी पहले से सगाई हो चुकी है और वो “ऊना का शासक” है। यहां तक कि उसने जान से मारने की धमकी भी दी।
पीड़िता की लड़ाई और एफआईआर
पीड़िता ने बताया कि 27 अगस्त को जब वह एसडीएम के घर गई, तो उसे धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद 28 अगस्त को उसने राष्ट्रीय महिला आयोग में ऑनलाइन शिकायत दर्ज की और 23 सितंबर को ऊना पुलिस, डीआईजी धर्मशाला और डीजीपी हिमाचल को भी लिखित शिकायत भेजी। उसी दिन ऊना सदर थाना में भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 और 351(2) के तहत एफआईआर दर्ज कर दी गई।
गिरफ्तारी से बचने की कोशिशें
एफआईआर दर्ज होते ही एसडीएम फरार हो गया। उसका मोबाइल फोन बंद है और कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है। आरोपी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, जिस पर दो बार सुनवाई हुई लेकिन कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। अब अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होनी है। जस्टिस राकेश कैंथला ने साफ कहा कि ऐसे गंभीर मामलों में गिरफ्तारी से पहले जमानत नहीं दी जा सकती।
पुलिस की कार्रवाई और SIT की जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए ऊना पुलिस ने SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) गठित की है, जिसकी कमान एएसपी सुरेंद्र शर्मा को सौंपी गई है। पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की, जिसमें आरोपी की ऑडी कार (HR-26-8002) को जब्त किया गया। एक टीम आरोपी के पैतृक गांव गिरिपार (सिरमौर जिला) भी गई, लेकिन वहां से भी खाली हाथ लौटी।
पीछा करने और धमकाने के आरोप
पीड़िता ने आरोप लगाया कि 17 सितंबर को आरोपी ने उसकी ऑडी कार से उसका पीछा किया। डर की वजह से वह सीधे अपने घर भाग गई। साथ ही उसने यह भी कहा कि एसडीएम लगातार फोन कर महिला आयोग में दर्ज शिकायत को वापस लेने का दबाव बना रहा था।
महिला आयोग ने भी लिया संज्ञान
मामला बढ़ता देख हिमाचल प्रदेश महिला आयोग ने भी इसका संज्ञान लिया है। आयोग की अध्यक्ष विद्या देवी ने एसपी ऊना से फोन पर बातचीत कर निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं। उधर, पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल करवाया है और जांच जारी है।
अब आगे क्या?
जहां एक तरफ एक महिला खिलाड़ी न्याय की गुहार लगा रही है, वहीं दूसरी ओर एक सरकारी अधिकारी खुलेआम फरार घूम रहा है। पुलिस दावा कर रही है कि उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन अभी तक जमीन पर कोई ठोस नतीजा नहीं दिख रहा।
अब सबकी निगाहें 3 अक्टूबर को होने वाली कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। सवाल ये है कि क्या कानून अपना काम करेगा या एक बार फिर सिस्टम की सुस्त रफ्तार न्याय को धीमा कर देगी?