Swami Chaitanyananda Saraswati: दिल्ली पुलिस के शिकंजे में आए स्वयंभू बाबा स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती की असलियत अब परत-दर-परत सामने आ रही है। जो व्यक्ति खुद को योग, धर्म और संस्कार का प्रचारक बताता था, वो असल में एक चालाक, बहुरूपिया और महिलाओं के शोषण में लिप्त अपराधी निकला। चौंकाने वाली बात यह है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए इस बाबा ने ऐसे ऐसे पैंतरे अपनाए कि पुलिस तक की आंखें चकरा गईं।
दो महीने की फरारी, कई शहरों में छिपा रहा बाबा- Swami Chaitanyananda Saraswati
यह मामला तब सामने आया जब 6 अगस्त को दिल्ली स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट की 17 छात्राओं ने बाबा के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराई। इनमें अधिकतर छात्राएं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) से थीं। जैसे ही बाबा को खबर लगी कि FIR दर्ज हो चुकी है, वह देश छोड़ने की फिराक में था। लेकिन इससे पहले ही वह दिल्ली से गायब हो गया।
करीब दो महीने तक पुलिस उसकी तलाश में लगी रही। वह कभी वृंदावन, कभी मथुरा, कभी आगरा में छिपता रहा। सस्ते होटलों में ठहरता, टैक्सी से सफर करता, मोबाइल बार-बार बदलता। पहचान छिपाने में माहिर बाबा लगातार जांच एजेंसियों को चकमा देता रहा।
दो पासपोर्ट, दो नाम, दो पहचान
जब पुलिस ने उसके दस्तावेज खंगाले, तो सबसे बड़ा खुलासा हुआ कि उसके पास दो पासपोर्ट थे। एक पर नाम था स्वामी पार्थ सारथी, तो दूसरे पर स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती। सिर्फ नाम ही नहीं, दोनों पासपोर्ट पर जन्मस्थान और माता-पिता के नाम भी अलग-अलग थे। एक में जन्मस्थान दार्जिलिंग, दूसरे में तमिलनाडु लिखा था।
इतना ही नहीं, पैन कार्ड पर भी अलग-अलग माता-पिता के नाम दर्ज थे। यानी इस बाबा ने अपनी असली पहचान को पूरी तरह छुपा कर एक भ्रमजाल रच रखा था, ताकि पकड़े जाने पर पुलिस को उलझा सके।
आधी रात को दबोचा गया बाबा
दिल्ली पुलिस को खुफिया जानकारी मिली कि बाबा आगरा के ताजगंज इलाके में एक होटल में ‘पार्थ सारथी’ के नाम से रुका हुआ है। 27 सितंबर को उसने कमरा नंबर 101 लिया था और पूरे समय कमरे से बाहर नहीं निकला।
अंततः रविवार तड़के 3:30 बजे, पुलिस ने दबिश दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार करते समय उसके पास से मोबाइल, iPad और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए। होटल कर्मचारियों को भी उस पर शक हुआ था क्योंकि वह किसी से मिल नहीं रहा था।
छात्राओं पर दबाव डालने के हथकंडे
FIR में साफ तौर पर दर्ज है कि चैतन्यनंद संस्थान का चेयरमैन रहते हुए छात्राओं को देर रात अपने कमरे में बुलाता था। वह आपत्तिजनक मैसेज भेजता, और जब छात्राएं विरोध करतीं, तो उसकी तीन महिला सहयोगी उन्हें धमकाकर चुप करातीं। वह छात्राओं से वह संदेश डिलीट करवाता और किसी को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देता।
सबसे खतरनाक बात ये थी कि वह संस्थान और हॉस्टल के CCTV कैमरों की लाइव फीड खुद मोबाइल पर देखता था, जिससे वह हर छात्रा की गतिविधियों पर नजर रखता था।
अंतरराष्ट्रीय मुखौटा और नकली पहचान
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसके पास से कई नकली विज़िटिंग कार्ड बरामद किए, जिनमें उसे संयुक्त राष्ट्र (ECOSOC) का प्रतिनिधि और ब्रिक्स का दूत बताया गया था। यही नहीं, उसने दावा किया था कि उसका सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से संबंध है। इन झूठे दावों के सहारे उसने संस्थान में अपनी दबंगई बनाए रखी और सबको भ्रम में रखा।
बैंक खातों में करोड़ों की हेराफेरी
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि बाबा के कई बैंक खातों में लगभग 8 करोड़ रुपये जमा हैं। उसने अलग-अलग नामों से FDs, खाते और लेन-देन के रिकॉर्ड बनाए थे। FIR दर्ज होने के बाद भी उसने करीब 50 लाख रुपये की निकासी की, जिससे अंदेशा है कि वह गवाहों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था।
पुलिस रिमांड और आगे की जांच
गिरफ्तारी के बाद अदालत ने उसे 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है। अब पुलिस उसकी तीन महिला सहायिकाओं से आमने-सामने पूछताछ करेगी। संभावना है कि उसे संस्थान ले जाकर पीड़ित छात्राओं के सामने भी खड़ा किया जाएगा, ताकि सच्चाई पूरी तरह सामने आ सके।
पीड़िताओं की उम्मीद: “अभी आधा न्याय मिला है”
गिरफ्तारी के बाद छात्राओं और उनके परिवारों ने थोड़ी राहत जरूर महसूस की है, लेकिन वे जानते हैं कि न्याय अभी अधूरा है। एक पीड़िता की दोस्त ने कहा, “ये सिर्फ शुरुआत है। हम चाहते हैं कि उसे ऐसी सजा मिले जिससे कोई और ऐसी हरकत करने की हिम्मत न कर सके।”