Who is Brijesh Singh Gangster: उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया डॉन! कैसे एक होनहार छात्र बना बृजेश सिंह गैंगस्टर?

Table of Content

Who is Brijesh Singh Gangster: उत्तर प्रदेश के खूंखार अपराधियों की लिस्ट में एक नाम हमेशा चर्चा में रहा है—बृजेश सिंह। कभी यूपी कॉलेज का एक मेधावी छात्र रहने वाला बृजेश, अपराध की दुनिया में ऐसा कूदा कि उसका आतंक यूपी से लेकर मुंबई, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा तक फैल गया। एक समय में वह राजनीतिक गलियारों में भी प्रभावशाली नाम बन गया था, लेकिन गैंगवार और अपराध की दुनिया में उसका नाम हमेशा विवादों में रहा।

और पढ़ें: Sadhguru Jaggi Vasudev News: सद्गुरु के आश्रम में नाबालिग लड़कियों के शोषण का पर्दाफाश! इंटरनल ईमेल्स से सामने आई सच्चाई, दीक्षा देने का तरीका सवालों के घेरे में!

ये नाम एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि हाल ही में ShyamMeeraSingh ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव पर एक वीडियो बनाया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। इस वीडियो के बाद से ही दर्शकों की डिमांड बढ़ने लगी कि ShyamMeeraSingh अब उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया डॉन बृजेश सिंह पर भी वीडियो बनाए।

कौन है बृजेश सिंह? (Who is Brijesh Singh Gangster)

बृजेश सिंह का असली नाम अरुण कुमार सिंह है, और उसका जन्म वाराणसी के धरहरा गांव में हुआ था। उसके पिता रविंद्र सिंह इलाके के प्रभावशाली व्यक्तियों में गिने जाते थे, जिनका राजनीति में भी अच्छा-खासा दबदबा था। बृजेश बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज था और 1984 में इंटरमीडिएट की परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ पास हुआ। बाद में उसने यूपी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। लेकिन एक घटना ने उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी।

कैसे बना एक मेधावी छात्र यूपी का खतरनाक माफिया डॉन?

बृजेश के पिता रविंद्र सिंह की हत्या 27 अगस्त 1984 को कर दी गई थी। इस हत्या के पीछे सियासी प्रतिद्वंद्विता को वजह बताया गया और आरोप हरिहर सिंह व पांचू सिंह पर लगे।

  • बृजेश अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए बेताब था।
  • 27 मई 1985 को उसे मौका मिला और उसने हरिहर सिंह की हत्या कर दी।
  • इस घटना के बाद बृजेश का नाम अपराध की दुनिया में गूंजने लगा।

लेकिन उसकी पितृहत्या का बदला लेने की आग यहीं नहीं बुझी।

सिकरौरा हत्याकांड: पहली बार आया सुर्खियों में

9 अप्रैल 1986 को वाराणसी के सिकरौरा गांव में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंज उठी। बृजेश सिंह ने अपने पिता की हत्या में शामिल पांच लोगों को एक ही दिन मौत के घाट उतार दिया।

  • यह सामूहिक नरसंहार पहली घटना थी जिसने बृजेश को अपराध की दुनिया में कुख्यात बना दिया।
  • इस हत्याकांड के बाद उसे पहली बार गिरफ्तार किया गया।
  • इसके बाद वह अंडरग्राउंड हो गया और खुद को पुलिस की पकड़ से बचाता रहा।

ठेकेदारी और रंगदारी का खेल

बृजेश को अपराध की दुनिया में अपनी ताकत का एहसास हो चुका था। उसने ठेकेदारी और रंगदारी वसूली का धंधा शुरू कर दिया। इसी दौरान उसकी टकराव बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से हुआ।

  • यह गैंगवार बृजेश को बहुत भारी पड़ी।
  • मुख्तार अंसारी की ताकत का उसे अंदाजा नहीं था।
  • इस गैंगवार में बृजेश का भाई मारा गया।

इसके बावजूद, बृजेश ने हार नहीं मानी और यूपी से बाहर अपना नेटवर्क फैलाना शुरू कर दिया।

गाजीपुर में पुलिस की वर्दी में की हत्या

1988 में साधू सिंह ने हेड कांस्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी।

  • यह कांस्टेबल बृजेश सिंह के करीबी त्रिभुवन सिंह का भाई था।
  • बदला लेने के लिए, बृजेश और त्रिभुवन ने पुलिस की वर्दी पहनकर अस्पताल में घुसकर साधू सिंह को मार डाला।
  • यही नहीं, मुंबई के जेजे अस्पताल में उसने गवली गिरोह के शूटर हलधंकर समेत चार पुलिसवालों की हत्या भी कर दी।

राजनीतिक ताकत और संरक्षण

1990 के दशक तक बृजेश को राजनीतिक संरक्षण मिल चुका था। उसने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के समर्थन से अपनी सियासी पकड़ मजबूत की। मुख्तार अंसारी से गैंगवार के बीच कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। इसके बाद, बृजेश यूपी से भाग गया और धीरे-धीरे उसका गैंग कमजोर पड़ने लगा।

2008 में ओडिशा से गिरफ्तारी

  • 2008 में, बृजेश सिंह को उड़ीसा से गिरफ्तार कर लिया गया।
  • लंबे समय तक जेल में रहने के बावजूद, उसका नाम अपराध की दुनिया में बना रहा।

राजनीति में एंट्री और एमएलसी चुनाव

  • 2015 में, यूपी एमएलसी चुनाव में उसने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की।
  • लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा।

उसरी चट्टी हत्याकांड और एके-47 का पहली बार इस्तेमाल

  • 15 जुलाई 2001 को, मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला हुआ।
  • इसमें मुख्तार अंसारी के सरकारी गनर और एक समर्थक की मौत हो गई।
  • इस हमले में पहली बार AK-47 का इस्तेमाल किया गया था।
  • बृजेश सिंह इस हमले का मुख्य आरोपी बताया गया।

कैसे मिली जमानत?

4 अगस्त 2022 को बृजेश सिंह को जमानत पर रिहा कर दिया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अगस्त 2022 को उसकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली। कोर्ट के आदेश के बाद, वह जेल से बाहर आ गया।

बृजेश सिंह की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई, लेकिन अपराध की दुनिया ने उसे एक माफिया बना दिया।

  • पिता की हत्या का बदला लेने से शुरू हुआ सफर गैंगस्टर बनने तक जा पहुंचा।
  • ठेकेदारी, रंगदारी और गैंगवार ने उसे उत्तर भारत के सबसे कुख्यात अपराधियों में शामिल कर दिया।
  • राजनीति में भी उसने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन 2017 में उसे हार का सामना करना पड़ा।

आज, यूपी की माफिया राजनीति और अपराध जगत में बृजेश सिंह का नाम हमेशा एक चर्चित हस्ती के रूप में लिया जाता है।

और पढ़ें: Ind vs Pak Premanand Maharaj News: विराट कोहली की ऐतिहासिक जीत के बाद वायरल हुआ संत प्रेमानंद महाराज का प्रवचन, जानें क्या थी उनकी अनमोल सीख

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Is AI Replacing Tech Jobs? Exploring the Impact of Artificial Intelligence on the Workforce

  Introduction: The Rise of AI in Technology Artificial Intelligence (AI) has emerged as a transformative force within the technology sector, fundamentally altering how businesses operate and innovate. Over recent years, we have witnessed a remarkable surge in AI applications, ranging from machine learning algorithms to natural language processing systems, that are now integral components...

Kanpur News: एक जैसे चेहरे ही नहीं, फिंगरप्रिंट भी सेम! कानपुर का अनोखा मामला, विज्ञान हैरान

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ विज्ञान के जानकारों को भी सोच में डाल दिया है। विज्ञान अब तक यही मानता आया है कि दुनिया में किसी भी दो इंसानों के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना एक जैसी नहीं...

UP BJP New President: यूपी भाजपा को मिला नया चेहरा, संगठन की कमान अब पंकज चौधरी के हाथ

UP BJP New President: उत्तर प्रदेश भाजपा को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। शनिवार को एकमात्र नामांकन होने के बाद जिस नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी थी, उस पर रविवार को औपचारिक ऐलान कर दिया गया। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यवेक्षकों...

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार Dr Ramvilas Das Vedanti का निधन, अयोध्या और संत समाज में शोक की लहर

Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान...

Bhim Janmabhoomi dispute: रात में हमला, दिन में फाइलें गायब! भीम जन्मभूमि विवाद ने लिया खतरनाक मोड़

Bhim Janmabhoomi dispute: महू स्थित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि से जुड़ा राष्ट्रीय स्मारक एक बार फिर बड़े विवाद के केंद्र में है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू में कथित तौर पर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, फर्जीवाड़े और सत्ता हथियाने के आरोपों ने इस ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्मारक की गरिमा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds