नई दिल्ली। ग्लेनमार्क फार्मा कंपनी द्वारा विकसित एक दर्द की दवा के परीक्षण ने अब विवादों का रूप ले लिया है। इस फार्मा कंपनी पर आरोप है कि इसने अपनी दवाइयों का परीक्षण जानवरों पर ना करके इंसानों पर किया। इसके गंभीर परिणाम ये हुए कि एक साथ 21 लोग बीमार हो गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। ये मामला इतना बढ़ गया है कि भारत के शीर्ष ड्रग रेगुलेटरी बॉडी, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन यानि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मामले की जांच के लिए एक टीम को राजस्थान भेजा है।
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हालांकि मालपानी मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल ने कहा है कि जिन लोगों ने खुद पर दवाइयों के परीक्षण का दावा किया है, उनके आरोप बिल्कुल झूठे और बेबुनियाद हैं। वहीं, जांच को देखते हुए ग्लेनमार्क फार्मा कंपनी ने अस्पताल में दवाइयों के परीक्षणों को तुरंत “निलंबित” करने का फैसला किया है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने नाम उजागर न किए जाने की शर्त पर बताया कि फार्मा कंपनी के खिलाफ इन आरोपों की जांच के लिए CDSCO के दो निरीक्षकों को भेजा गया है और ये सुनिश्चित किया गया है कि अस्पताल में उचित क्लिनिकल ट्रायल प्रोटोकॉल का पालन किया गया है या नहीं। हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये जांच कब तक चलेगी।
इस बीच, राजस्थान चिकित्सा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग भी आरोपों की अलग से जांच कर रहा है।इस जांच में कम से कम तीन दिन लगने की उम्मीद है। वहीं, अस्पताल में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए ग्लेनमार्क फार्मा कंपनी ने तुरंत इस मामले की जांच करने और क्लिनिकल ट्रायल को निलंबित करने का फैसला किया है। ग्लेनमार्क का कहना है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है और इस परीक्षण पर किसी भी जांच में नियामक प्राधिकरणों के साथ पूरी तरह से समर्थन और सहयोग करने को वो तैयार है।
दरअसल, 21 अप्रैल को कुछ लोगों ने फार्मा कंपनी पर आरोप लगाया था कि वो अपनी दवाइयों का परीक्षण चूहों या जानवरों पर ना करके इंसानों पर करती है। कंपनी पर आरोप है कि वो पैसों का लालच देकर लोगों को अपने पास बुलाती है और उन्हें दवाइयां खिलाकर टेस्ट किया जाता है कि दवाई कामयाब है या नहीं। आरोप था कि कंपनी की दवाइयों का सेवन करके चूरू के बिदासर गांव में एक साथ 21 लोग बीमार पड़ गए थे, जिसके बाद उन्हें जयपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अस्पताल में भर्ती एक मरीज ने बताया था कि फार्मा कंपनी उन्हें उनकी दवाइयों का सेवन करने के लिए 500 रुपये प्रतिदिन देने का ऑफर देती है। हालांकि इस मामले में राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री काली चरण सराफ ने कहा था कि “ये एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। मेडिकल हेल्थ के प्रमुख सचिव को मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इस घटना के पीछे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी”।