नई दिल्ली : चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग ने एक ऐसा फैसला लिया जिससे सभी पार्टियों को जोरदार झटका लगा है। आयोग के इस फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियों को ‘आटे-दाल’ का भाव पता चलने वाला है।
दरअसल, आयोग ने चुनाव के दौरान उम्मीदवार के एक सिंगल कैश ट्रांजेक्शन के जरिए होने वाले चुनावी खर्च/चंदे की रकम कम कर दिया है। आयोग ने इस रकम को पहले से आधा कर दिया है। आयोग के इस फैसले के बाद अब सभी राज्यों के उम्मीदवार 20,000 की बजाए 10,000 की सिंगल ट्रांजेक्शन ही कर पाएंगे।
आपको बता दें कि साल 2017 साल विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को चुनावी खर्च की सीमा आयोग की तरफ से 28 लाख रुपए तय की गयी थी। मिली जानकारी के मुताबिक इस साल भी चुनावी खर्च की सीमा में कोई बदलाव नहीं की गयी है। जानकारी दे दें कि पिछले 5 साल में महंगाई दर 22 फीसदी तक बढ़ी, इंधन के दामों में भी इजाफा हुआ, खाने के सामानों में नमकीन, मिठाई, समोसे तक की कीमतों में भी इजाफा हुआ। हर क्षेत्र में महंगाई ने अपने पैर पसारे हैं।
चुनावों को दौरान राजनीतिक दलों और प्रत्याशी के खर्च पर चुनाव आयोग ने अपनी नजर बनायी हुई है। होटल बिल के साथ ही क्षेत्रीय दौरों के छोटे खर्च पर भी आयोग ध्यान दे रहा है जिससे नेताओं की परेशानियां बढ़ गयी है। प्रतियाशियों ने जहां तय सीमा से अधिक खर्च किया कि उनकी योग्यता खत्म कर दी जाएगी।
अब जरा ये जान लेते हैं कि आखिरकार चुनाव आयोग के इस फैसले को लेकर पार्टियों की क्या राय है। चुनावी खर्च को लेकर हर पार्टी की अपनी अलग राय है। इस मामले पर कांग्रेस पार्ट ने कहा है कि प्रचार प्रसार के साधन काफी महंगे हो गए हैं। सोशल मीडिया के साथ ही डिजीटल मीडिया पर प्रचार करने के लिए काफी ज्यादा खर्च करना होता है।