Cat Crossing: भारतीय समाज में सदियों से यह मान्यता रही है कि यदि कोई बिल्ली किसी के रास्ते को काट दे, तो वह व्यक्ति उस दिन का कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं कर पाएगा या उसमें किसी न किसी प्रकार की बाधा आ सकती है। यह धारणा न केवल भारत में बल्कि कई अन्य देशों और सभ्यताओं में भी प्रचलित रही है। हालांकि, इस पर आज भी विश्वास किया जाता है, लेकिन क्या वास्तव में इसका कोई आध्यात्मिक या वैज्ञानिक आधार है?
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प्रेमानंद महाराज ने दी अंधविश्वास पर प्रतिक्रिया- Cat Crossing
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने इस धारणा को लेकर अपनी स्पष्ट राय दी है। उन्होंने अपने प्रवचन में इसे एक अंधविश्वास बताया और कहा कि इस प्रकार के भ्रमों पर विश्वास करना अनुचित है। महाराज ने कहा, “हम इस बात पर विश्वास नहीं करते कि यदि बिल्ली रास्ता काट दे तो कोई काम बिगड़ जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि भगवान का स्मरण ही सबसे बड़ी शुभता है, और जो व्यक्ति भगवान में आस्था रखता है, उसे इन भ्रमों से घबराने की आवश्यकता नहीं है।
“राधा-राधा” का मंत्र और आत्मविश्वास
प्रेमानंद महाराज ने भक्तों और अनुयायियों को यह सलाह दी कि यदि कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो, तो “राधा-राधा” का नाम लेकर निडर होकर आगे बढ़ना चाहिए। उनका कहना था कि यदि फिर भी कोई अनहोनी हो जाए, तो यह मानकर चलें कि सच्चे भक्ति मार्ग में भगवान हर संकट को दूर कर देते हैं। उनका संदेश था कि विश्वास और भक्ति से जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
अंधविश्वास से नहीं, विश्वास से बदलता है जीवन
महाराज ने यह भी कहा कि बिल्ली एक मासूम प्राणी है और उसे हम अपने डर और भ्रमों का प्रतीक बना देते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “मंगल भी भगवान हैं और अमंगल को हरने वाले भी वही हैं।” अगर हम भगवान के नाम में विश्वास रखते हैं, तो कोई भी नकारात्मकता, चाहे वह बिल्ली का रास्ता काटना हो या कोई अन्य घटना, हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
विज्ञान की दृष्टि: सांस्कृतिक भ्रांति
विज्ञान भी इस मान्यता को पूरी तरह से निराधार मानता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बिल्ली का रास्ता काटना कोई अशुभ संकेत नहीं है, बल्कि यह सिर्फ एक सांस्कृतिक भ्रम है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, इस प्रकार के विश्वासों का जीवन की घटनाओं से कोई वास्तविक संबंध नहीं होता। यह एक प्रकार का मानसिक डर है, जो हमारे निर्णय लेने की प्रक्रिया में रुकावट डालता है।
विज्ञान यह भी मानता है कि इस प्रकार के अंधविश्वासों से हमारा जीवन प्रभावित नहीं होता, बल्कि यह हमारे मन की स्थिति और मानसिकता पर निर्भर करता है। जब हम किसी भ्रम या डर से ग्रसित होते हैं, तो हमारी सोच और निर्णयों में नकारात्मकता आ सकती है। इसलिए, यदि हम इन भ्रमों से मुक्त होकर आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच अपनाते हैं, तो हम अपने जीवन में आने वाली किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं।
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