Dreams and Vedic texts: प्राचीन भारतीय ग्रंथों में सपनों को केवल नींद के दौरान दिखने वाली छवियों से अधिक माना गया है। वेद, पुराण और उपनिषदों में सपनों को तीन अवस्थाओं—जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति—के माध्यम से समझाया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार, सपने परमात्मा की माया का एक रूप हैं, जिनमें प्राणी के कर्मों का फल प्रकट होता है। सपनों का महत्व न केवल आध्यात्मिक है बल्कि कई बार भविष्य की जानकारी देने वाले भी होते हैं।
सपनों की विभिन्न अवस्थाएं और उनका अर्थ- Dreams and Vedic texts
प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि सपने तीन प्रकार के होते हैं: जागृत अवस्था, स्वप्न अवस्था, और सुषुप्ति अवस्था। ये सपने परमात्मा द्वारा प्राणी को उसके कर्मों के आधार पर दिए जाते हैं। वेदों के अनुसार, कुछ सपने भविष्यवाणी करने वाले होते हैं जबकि अग्नि-पुराण में सपनों के अर्थों का विस्तृत वर्णन मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत आत्माएं भी सपनों के माध्यम से संदेश भेजती हैं। यदि सपनों में हम वीरता दिखाते हैं तो वह हमारे जीवन में सफलता का संकेत होता है, और यदि निष्क्रिय रहते हैं तो यह अशुभ फल की चेतावनी है।
उपनिषदों में सपनों को लेकर दो मत प्रचलित हैं। एक मत यह कहता है कि सपने हमारे मन की इच्छाओं का प्रतिबिंब होते हैं, जबकि दूसरा मानता है कि हमारी आत्मा स्वप्न अवस्था में शरीर से बाहर निकलकर यात्रा करती है और मार्गदर्शन प्राप्त करती है।
अर्थहीन सपनों के कारण
जब मन तनाव, चिंता, अत्यधिक भोजन या प्राकृतिक आवेगों से प्रभावित होता है, तब देखने वाले सपने ज्यादातर अर्थहीन होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन से भी सपनों का स्वरूप प्रभावित होता है। उदाहरण के तौर पर, वात दोष असंतुलन से उड़ने या गिरने जैसे सपने आते हैं, पित्त दोष से आग जलने या लाल रंग की वस्तुएं देखने के सपने और कफ दोष से जलाशयों या बगीचों में घूमने के सपने आते हैं।
दिव्य और पूर्वाभास वाले सपने
कुछ सपने बार-बार देखने या वास्तविक जीवन में घटित होने के कारण विशेष माने जाते हैं। ऐसे सपनों का अनुभव उन लोगों को होता है जिनमें अतिइंद्रिय शक्ति या संवेदनशीलता अधिक होती है। ज्योतिष के अनुसार, जिनकी जन्मकुंडली में नवम भाव मजबूत होता है, उन्हें सपनों के जरिए पूर्वाभास प्राप्त हो सकता है। यह पूर्वाभास विशेषकर चंद्रमा और शनि की दशा में देखने को मिलता है।
सपनों की शुभता और अशुभता
भारतीय ग्रंथों में सपनों के फल को देखने के समय, तिथि और अवस्था के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। उदाहरण के लिए, शुक्ल पक्ष की षष्ठी से दशमी तक देखे गए सपने शीघ्र फल देते हैं जबकि कृष्ण पक्ष की कुछ तिथियों पर देखे गए सपने विपरीत परिणाम देते हैं। साथ ही, रात के विभिन्न प्रहरों में देखे गए सपनों का फल भी अलग-अलग होता है, जैसे प्रथम प्रहर के सपने का फल एक वर्ष तक मिलता है और चौथे प्रहर के सपनों का फल अधिक सटीक होता है।
सपनों के प्रकार और ज्योतिषीय प्रभाव
सपनों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है जैसे दृष्ट (जागृत अवस्था का प्रतिबिंब), श्रुत (सुनी हुई बातें), अनुभूत (जाग्रत अनुभव), प्रार्थित (जाग्रत प्रार्थना), दोषजन्य (शारीरिक दोषों से उत्पन्न) और भाविक (भविष्य के संकेत)। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा ग्रह स्वप्नों का प्रमुख कारक है। चंद्रमा की स्थिति और उसकी युति अन्य ग्रहों से सपनों के प्रकार और उनके परिणामों को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, चंद्रमा की राहु से युति से डरावने सपने आते हैं, जबकि शुक्र से युति से सुंदर और शुभ सपने देखने को मिलते हैं।
सपनों से सवालों के जवाब पाने की विधि
सपनों में प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए प्राचीन पद्धति के अनुसार शंकर मंदिर में पूजा-अर्चना करना लाभकारी माना जाता है। मंत्रों का जाप और सही विधि से पूजा करने के बाद सोना सपनों में समाधान और मार्गदर्शन प्राप्त करने में मदद करता है।
सपनों का इतिहास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
सपनों की व्याख्या और उनका महत्व विश्व के प्राचीन सभ्यताओं में भी पाया जाता है। मेसोपोटामिया, प्राचीन यहूदी, मिस्र और ग्रीस जैसे देशों में सपनों को दिव्य संदेश और भविष्यवाणी का स्रोत माना गया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सपने अवचेतन मन की अभिव्यक्ति होते हैं जो हमारी इच्छाओं और भावनाओं का दर्पण प्रस्तुत करते हैं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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