जानिए कब है छठ पूजा और इसकी विधि ? छठ पूजा में इन चीजों से रहे सावधान

जानिए कब है छठ पूजा और इसकी विधि ? छठ पूजा में इन चीजों से रहे सावधान

हिन्दू धर्म में छठ पूजा की है अलग महत्ता

वैसे तो पूरे भारत में खूब सारे त्यौहार मनाये जाते है, खास कर हिन्दू धर्म में, लेकिन छठ पूजा की एक अलग ही महत्ता होती है। हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से हर साल छठ पूजा कार्तिक माह की षष्ठी यानी छठी तिथि से आरंभ होती है। इसका मतलब छठ ठीक दिवाली के 6 दिन बाद से से आरम्भ होगी और अगले 4 दिनों तक यह पर्व मनाया जाता है। हरेक साल की तरह इस वर्ष भी छठ पर्व नहाय खाए के साथ 28 अक्तूबर से शुरू होगी। इस व्रत में लोग उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, और साथ ही, छठी मैय्या की पूजा भी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन छठी मैय्या की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से भक्तों के सभी दुख-दर्द और कष्ट दूर होते हैं तथा मान-सम्मान और धन-वैभव में वृद्धि होती है।

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दिल्ली सरकार ने तैयार किया 1,100 घाट

इस पर्व की महत्ता को देखते हुए विभिन्न राज्य सरकारें भी इसकी व्यवस्था में जुट जाती है। ठीक इसी बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार ने 1,100 घाटों पर छठ पूजा (Chhath Puja) के लिए बड़ी तैयारियां की हैं और इस त्योहार के लिए 25 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं।

छठ पर्व की मुख्य तिथियां

छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक छठ पूजा कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि से शुरू हो जाएगी। इस साल यह तिथि रविवार, 30 अक्टूबर को पड़ रही है। मान्यता के अनुसार ये पर्व चतुर्थी से ही शुरू होकर सप्तमी की सबुह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ खत्म होता है।

छठ पूजा 2022 (chhath puja 2022 date)

नहाय-खाय – 28 अक्टूबर 2022

खरना – 29 अक्टूबर 2022

डूबते सूर्य का अर्घ्य (शाम का अर्घ्य ) – 30 अक्टूबर 2022

उगते सूर्य का अर्घ्य (सुबह का अर्घ्य) – 31 अक्टूबर 2022

छठ पूजा की प्रक्रिया

छठ पूजा के पहले दिन यानी की चतुर्थी तिथि को ‘नहाय-खाय’ मनाई जाती है। यह कह ले की छठ की शुरुआत नहाय-खाय से ही होती है। इस दिन व्रत करने वाले स्नान करके नए कपड़े धारण करते हैं और पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं। इस दिन सबसे पहले व्रत रखने वाले भोजन करते हैं जिसके बाद परिवार के बचे हुए सदस्य भोजन करते हैं। अगले दिन मतलब की पंचमी को खरना व्रत होता है, इस दिन शाम में उपासक प्रसाद के रूप में गुड़-खीर, रोटी और फल आदि खाते हैं। उपासक के खरना के पूजा करने के बाद गुड़-खीर, रोटी और फल को प्रसाद के रूप में और सभी को दिया जाता है। फिर उपासक अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं। मान्यता है कि खरना पूजन से ही छठ देवी प्रसन्न होकर घर में वास करती हैं। इसके बाद नदी या जलाशय के तट पर भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते अपने पूजा सामग्री को लेकर जुटते हैं तथा शाम और अगले दिन सुबह में सूर्य को अर्ध्य समर्पित कर पर्व का समापन करते हैं। छठ पूजा के मुख्य प्रसाद में ठेकुआ होता है जिसे पूजा के समापन के बाद लोगों में बांटा जाता है।

छठ पूजा से जुड़ी कहानियां

छठ पूजा की परंपरा कैसे शुरू हुई, इस संदर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ का व्रत करने के प्रताप से ही पांडवों को अपना खोया हुआ राजपाट फिर से प्राप्‍त हुआ था। जब पांडव अपना राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। जिसके बाद उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। लोक परंपरा के अनुसार, सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है।

कुछ कथाओं के मुताबिक राम-सीता के 14 साल के वनवास से लौटने के बाद रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए तथा ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया। पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया। मुग्दल ऋषि के आदेश से मां सीता पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य देव की उपासना करने को कहा गया। इससे सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्य देव की पूजा की थी। अंत में सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। एक किस्सा यह भी है की सूर्य पुत्र कारण रोजाना सूर्य को अर्ध्य अर्पित करते थे जिस कारण वो इतने तेजस्वी हुए और लोगों ने फिर छठ पूजा करना शुरू किया।

छठ पूजा से जुड़ी पूजा सामग्री

हिन्दू धर्म में छठ पूजा को बड़े ही नियम से मनाया जाता है। इसीलिए इसके पूजा की सामग्री को भी लोग बड़े ध्यान से खरीदते हैं। छठ पूजा में कुछ सामग्री अनिवार्य होती हैं जैसे की साड़ी या धोती, बांस की दो बड़ी टोकरी, बांस या पीतल का सूप, गिलास, लोटा और थाली, दूध और गंगा, एक नारियल, धूपबत्‍ती, कुमकुम, बत्‍ती ,पारंपरिक सिंदूर, चौकी, केले के पत्‍ते, शहद, मिठाई, गुड़, गेहूं और चावल का आटा, चावल, एक दर्जन मिट्टी के दीपक, पान और सुपारी, 5 गन्‍ना, शकरकंदी। इसके अलावा सुथनी, केला, सेव, सिंघाड़ा, हल्‍दी, मूली और अदरक का पौधा और फल भी अनिवार्य होता है।

छठ में इन चीजों का रखें ख्याल

छठ पूजा करने वालों को पहले से ही अपने खान-पान का खासा ख्याल रखना चाहिए। जिस जगह पर छठ पूजा के उपासक बैठे उस जगह को किसी भी तरीके से अपवित्र ना करें। खरना के बाद थाली का धोवन, जूठन या नाली में ना डाले और इस बात का विशेष ख्याल भी रखना चाहिए। प्रसाद बनाते समय विशेष ख्याल रखें कि चीजें शुद्ध हो और साथ ही अलग वस्त्र पहने जिसे पहन कर सिर्फ प्रसाद बनाएं। प्रसाद बनाते समय सावधानी बरतने के लिए किसी से बात ना करें। बात करते समय मुँह से जो हवा और जूठन निकलता है उससे प्रसाद अशुद्ध हो सकता है। 

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