Rambhadracharya vs Premanand Maharaj: हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज और जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बीच मचे विवाद पर एक नया मोड़ आ गया है। सोशल मीडिया पर छाए इस विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज की संस्कृत ज्ञान को लेकर सार्वजनिक रूप से एक चैलेंज दे डाला। उनके इस बयान से प्रेमानंद महाराज के भक्तों में भारी नाराज़गी देखने को मिली थी। लेकिन अब जगद्गुरु ने खुद सामने आकर सफाई दी है और कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
संस्कृत पर दिया जोर, लेकिन प्रेमानंद पर कोई अभद्र टिप्पणी नहीं – रामभद्राचार्य Rambhadracharya vs Premanand Maharaj
सोमवार को जारी एक वीडियो में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, “मैंने प्रेमानंद जी के लिए कोई अपमानजनक बात नहीं कही। मेरा उद्देश्य सिर्फ यह था कि हर सनातनी को संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए। मैं खुद आज भी रोज़ 18-18 घंटे पढ़ता हूं। संस्कृत शास्त्रों की समझ जरूरी है, खासकर जब सनातन धर्म पर चारों ओर से हमले हो रहे हैं। हमें एकजुट होकर अपनी संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रेमानंद महाराज को लक्ष्य बनाकर कुछ नहीं कहा, बल्कि यह बात उन्होंने सामान्य रूप से उन सभी के लिए कही जो संतों का चोला पहनकर आध्यात्मिक बातें करते हैं लेकिन जिनके पास शास्त्रों का गहरा ज्ञान नहीं होता।
“प्रेमानंद को चमत्कारों से परे जाकर शास्त्र समझने की जरूरत” – पहले दिया था बयान
गौरतलब है कि इस विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज के चमत्कारों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर वह सच में चमत्कारी हैं, तो संस्कृत का एक अक्षर बोलकर दिखाएं या किसी श्लोक का अर्थ समझा दें। उन्होंने यह भी कहा था कि “वो मेरे बालक के समान हैं, लेकिन चमत्कार को मैं नमस्कार नहीं करता।”
इस बयान के बाद प्रेमानंद जी के भक्तों ने रामभद्राचार्य पर नाराज़गी जताई और सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर ट्रोल किया। वहीं अब खुद रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद जी को लेकर नरम रुख अपनाते हुए कहा कि अगर वह उनसे मिलने आते हैं, तो उन्हें आशीर्वाद देंगे और दिल से लगाएंगे।
“प्रेमानंद जी के लिए हृदय से प्रार्थना करता हूं”
अपनी सफाई में उन्होंने यह भी कहा, “मेरे लिए जो भ्रम फैलाया जा रहा है, वह गलत है। मैं प्रेमानंद जी के स्वास्थ्य के लिए भगवान श्रीराम से प्रार्थना करता हूं। मैं हमेशा उनकी दीर्घायु की कामना करता रहूंगा।”
एकता की अपील
रामभद्राचार्य ने इस पूरे मामले में सबसे बड़ा संदेश यह दिया कि “आज जरूरत इस बात की है कि हम सनातन धर्म के झंडे तले एक हों। काशी, मथुरा और राम मंदिर जैसे मुद्दे हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि हम विद्वता और एकजुटता से आगे बढ़ें।”