Ganesh Chaturthi: जैसा कि आप सभी जानते हैं, गणपति का आगमन हो चुका है और भारत में गणेश चतुर्थी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर गणेश जी की पूजा करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनकी पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि पूजा का पूरा लाभ मिल सके। तो चलिए आपको इस लेख में हम आपको विस्तार से बताते हैं कि भगवान गणेश की पूजा करते समय क्या न करें और क्या न करें।
गणेश पूजा के नियम क्या हैं
- स्वच्छता का ध्यान रखें – भोग हमेशा ताज़ा और साफ़ बर्तन में रखें। भोग लगाने से पहले और भोग लगाते समय अपने हाथ अच्छी तरह धोएँ।
- गणेश जी का प्रिय भोग – गणेश जी को उनके प्रिय भोग जैसे मोदक, लोध, खेड़, केला और शकरकंद अवश्य भोग में लगाने चाहिए। मोदक और लोध को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- तुलसी का प्रयोग न करें – भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है। इसलिए भोग या पूजा के दौरान तुलसी के पत्ते न रखें।
- समर्पित भाव से – भोग विलास के समय मन में श्रद्धा और समर्पण का भाव रखें। भोग को पूरी श्रद्धा के साथ प्रसाद के रूप में सुरक्षित रखें।
- जल सुरक्षित रखें – भोग के साथ एक बर्तन में शुद्ध जल रखें। भोग लगाने के बाद, इस जल को गणेश जी को अर्पित करें।
- प्रसाद वितरण – प्रसाद चढ़ाने के बाद, भोजन को कुछ देर गणेश जी के सामने रखें। इसके बाद, यह प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों और अन्य लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
गणेश पूजा के दौरान क्या न करें
- बासी भोजन न चढ़ाएँ – गणेश जी को कभी भी बासी या पहले से पका हुआ भोजन न चढ़ाएँ। भोजन हमेशा ताज़ा होना चाहिए।
- प्याज और लहसुन का प्रयोग बिल्कुल न करें – भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग बिल्कुल न करें। भोजन सात्विक होना चाहिए।
- बासी भोजन का प्रयोग न करें – कभी भी बासी भोजन का प्रयोग न करें। भोजन पूरी तरह से शुद्ध होना चाहिए।
- प्रसाद अकेले न चढ़ाएँ – गणेश जी को चढ़ाया गया भोजन अकेले नहीं खाना चाहिए। इसे सभी में वितरित करना चाहिए।
- अधूरे मन से प्रसाद न चढ़ाएँ – प्रसाद के समय आपका मन निष्क्रिय नहीं होना चाहिए। वैज्ञानिक मन से किया गया कोई भी कार्य फलदायी नहीं होता।
- इन उपायों का पालन करके आप भगवान गणेश को प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।