प्रेमानंद जी के सत्संग: परमार्थ मार्ग के पथिक की यात्रा अगर अधूरी रह जाती है तो फिर क्या होगा

प्रेमानंद बाबा के सत्संग
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राधा रानी के परम भक्त और हर समय उनका नाम लेने वाले श्री प्रेमानंद महाराज जी वृन्दावन में रहते हैं. जहाँ महाराज जी सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन करते हैं तो साथ ही राधा रानी के नाम का सत्संग भी करते है इन सत्संग में महाराज जी कई सारी अच्छी बातें भी बताते हैं. वहीं महाराज जी लोगों से भी मिलते हैं. महाराज जी से मिलने आये लोग उन्हें अपनी परेशानी के बारे में बताते हैं और महाराज जी इनका मार्गदर्शन करते हैं वहीं इस बीच महाराज जी मिलने आये एक शख्स ने सवाल पूछा है कि परमार्थ मार्ग के पथिक की यात्रा अगर अधूरी रह जाती है तो क्या होगा?

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महाराज ने बताया नहीं होती यात्रा अधूरी 

दरअसल, महाराज जी से मिलने आये शख्स का अनुज सोनी है और उन्होंने अवाल किया है कि मृत्यु कभी आ सकती है और उस दौरान मृत्यु हो जाती है और परमार्थ मार्ग के पथिक की यात्रा अगर अधूरी रह जाती है तो क्या होगा. इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज ने कहा कि परमार्थ मार्ग की यात्रा अधूरी होती ही नहीं है, महाराज ने कहा कि जैसे हम राधा नाम ले और प्राण निकल जाए तो समझ लो यात्रा पूरी हो गयी है. महाराज जी ने ये भी कहा कि नाम जप करो और इस बीच अगर मृत्यु हो जाती है तो समझ से भागवत प्राप्ति हो गयी है.

Premanand ji satsang
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मथुरा जेल अधीक्षक ने पूछा महाराज जी से सवाल 

इससे पहले मथुरा जेल अधीक्षक महाराज जी से मिलने आये और उन्होंने सवाल किया कि जिस जेल के वो अधीक्षक हैं वहां पर 1600 कैदी हैं. वहीं इनमे से कई कैदी ऐसे हैं जो 16-18 सालों से जेल में बंद हैं. जेल में बंद कैदी के अपने परिवार वालों से न मिल पाते हैं न ही बातें कर पाते हैं और इस वजह से जहाँ जेल में बंद कैदी का परिवार तिल-तिल मरता रहता है तो वहीं  जेल में बंद कैदी सुसाइड जैसे कदम उठा लेते हैं. वहीं अधीक्षक ने भी कहा कि हमने आपकी प्रेरणा से राधे-राधे का जाप कराना शुरू किया है जिसकी वजह से काफी परिवर्तन आया है और अब इन कैदियों को कुछ सन्देश दीजिये.

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वहीं महाराज जी ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि वो निर्दोष हो और उन्होंने वो अपराध नहीं किया हो लेकिन वो इस अपराध के लिए उन्हें सजा मिल गयी ये वो पाप जो है उन्हें दंड नहीं मिला है वो ही पाप वो भोग रहे हैं. इसी के साथ महाराज ने कहा कि आत्महत्या वो उपाय नहीं है जिससे हम मुक्त हो जाए ये वो पाप जिसका आपको दंड भोगना पड़ेगा. वहीं महाराज ने भी ये कहा कैदियों को ये सोचना चाहिए कि जेल मिली तो क्या हुआ हम नाम जप करें और देखना सब रह आसान हो जायेगा. इसी के साथ महाराज जी ने कहा उन्हें ये सुनकर अच्छा लगा की कैदी भी नाम जप करते हैं उनक मन प्रसन्न हो गया.

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