Sawan 2025: सावन का महीना शुरू हो चुका है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार साल का पांचवां महीना होता है। यह महीना खासतौर पर भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है और इस दौरान शिवभक्तों के लिए विशेष धार्मिक अनुष्ठान और व्रत किए जाते हैं। सावन माह का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जिन्हें सुनकर हर भक्त की श्रद्धा और भक्ति और भी गहरी होती है। आइए जानते हैं इस पवित्र माह से जुड़ी प्रमुख कथाओं और मान्यताओं के बारे में।
समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा- Sawan 2025
श्रावण मास की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया। इस मंथन से 14 रत्न निकले, जिनमें से एक भयंकर विष “हालाहल” था। इस विष की ज्वाला इतनी तीव्र थी कि पूरे ब्रह्मांड में त्राहि-त्राहि मच गई। सभी देवता और असुर भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे इस विष के प्रभाव से बचाने की प्रार्थना की।
भगवान शिव ने अपनी करुणा और बलिदान के रूप में उस भयंकर विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, ताकि वह संसार को नष्ट न कर दे। विष के प्रभाव से उनके कंठ का रंग नीला हो गया और तब से भगवान शिव “नीलकंठ” के नाम से प्रसिद्ध हुए। इस विष के कारण उनके शरीर में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न हुई, जिसे शांत करने के लिए देवताओं ने गंगाजल से उनका अभिषेक किया। यही वह घटना थी, जो श्रावण मास में हुई थी और तभी से इस मास में भगवान शिव का जलाभिषेक करना अति शुभ और फलदायक माना जाता है।
शिव पूजा का महत्व
श्रावण माह में जल अर्पित करना भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है। विशेष रूप से इस महीने में कांवड़ यात्रा का महत्व होता है, जिसमें शिवभक्त नदियों से गंगाजल लेकर उसे कांवड़ में भरकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। इसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के एक सशक्त उपाय के रूप में देखा जाता है।
देवी पार्वती की तपस्या और शिव-पार्वती विवाह
श्रावण मास का संबंध सिर्फ समुद्र मंथन से ही नहीं है, बल्कि यह माह देवी पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किए गए कठोर तप के कारण भी विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। इस माह में शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनने से विशेष पुण्य मिलता है। शिव भक्तों के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर प्रदान करता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सावन माह का महत्व
श्रावण माह केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस समय शिव की उपासना, उपवास, भक्ति और सेवा से जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि आती है। इस माह में प्रकृति में नए परिवर्तन होते हैं और सभी जीव जंतु खुश और प्रसन्न रहते हैं। प्रेमी-प्रेमिका और पति-पत्नी के रिश्तों में भी विशेष प्रेम और आकर्षण बढ़ता है।
सावन मास में रक्षाबंधन का त्यौहार भी मनाया जाता है, जो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। यह माह प्रकृति द्वारा हमें दिया गया आशीर्वाद है, जिसमें हम सभी को वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा से मिलने वाले पुण्य को इस समय विशेष रूप से महसूस किया जा सकता है।
अस्वीकरण: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक गतिविधि में भाग लेने से पहले विशेषज्ञ या धार्मिक गुरु से परामर्श लें।