Sharad Purnima 2025 Date: 6 या 7 अक्टूबर? जानें शरद पूर्णिमा की सही तारीख, मुहूर्त और पूजन विधि

Sharad Purnima 2025 Date
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Sharad Purnima 2025 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन महीने की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है, जो कि साल की सभी पूर्णिमाओं में सबसे खास मानी जाती है। इसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। खास बात यह है कि मान्यता के अनुसार, इस रात चंद्रमा अपनी सोलहों कलाओं के साथ उदित होता है और अमृत की वर्षा करता है।

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कब है शरद पूर्णिमा 2025? Sharad Purnima 2025 Date

इस बार शरद पूर्णिमा सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। हालांकि तिथि दो दिन तक चलने के कारण लोगों में थोड़ी उलझन जरूर है।

  • पूर्णिमा शुरू: 6 अक्टूबर दोपहर 12:23 बजे
  • पूर्णिमा समाप्त: 7 अक्टूबर सुबह 9:16 बजे

हिंदू धर्म में पर्वों की तिथि तय करते समय ‘उदय तिथि’ को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन शरद पूर्णिमा की पूजा खासतौर पर रात्रि में चंद्रमा की रोशनी के समय होती है। इसलिए ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार यह पर्व 6 अक्टूबर की रात को मनाना उचित रहेगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त:
रात 11:45 से 12:24 तक
चंद्रमा उदय का समय: शाम 5:27 बजे

क्यों खास होती है ये रात?

शरद पूर्णिमा सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा के लिहाज से भी खास मानी जाती है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं। इसलिए घरों में खीर बनाकर उसे चांदनी में रखने की परंपरा है ताकि उसमें अमृततुल्य गुण समा जाएं। सुबह उसे प्रसाद के रूप में बांटा और खाया जाता है।

शास्त्रों में शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा की रात को लेकर हिंदू धर्म के विभिन्न पुराणों में बेहद खास मान्यताएं बताई गई हैं। भागवत महापुराण के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा की रात को भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन की गोपियों के साथ महारास रचाया था, जिसे रासलीला भी कहा जाता है। इसी कारण इस तिथि को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

स्कंद पुराण में शरद पूर्णिमा की रात को लेकर उल्लेख है कि इस रात चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है। माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर और मन के लिए लाभकारी होते हैं।

वहीं, पद्म पुराण में यह भी बताया गया है कि इस विशेष रात मां लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो लोग इस रात जागरण करते हैं, पूजा-पाठ और भक्ति में लीन रहते हैं, उन्हें मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

इस तरह शरद पूर्णिमा की रात को आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय

अगर आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, तो शरद पूर्णिमा आपके लिए सुनहरा मौका है।

  • पूजा के दौरान मां लक्ष्मी को कमल का फूल और नारियल चढ़ाएं।
  • 11 पीली कौड़ियों को पीले कपड़े में बांधकर मां लक्ष्मी के सामने रखें और बाद में तिजोरी में रख दें।
  • इस दिन मां लक्ष्मी के बीज मंत्र का जाप करें:

ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।

क्या करें और क्या न करें?

  • इस दिन पवित्र नदी में स्नान, व्रत और दान-पुण्य करने से विशेष फल मिलता है।
  • रातभर जागरण और भजन-कीर्तन करने की भी परंपरा है।
  • चंद्रमा की सीधी किरणें खीर पर पड़ें, इसका ध्यान जरूर रखें।

अस्वीकरण: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों पर आधारित है। कृपया किसी भी उपाय को अपनाने से पहले स्वयं जांचें या विशेषज्ञ की सलाह लें।

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