कनाडा का वो चर्च जो बन गया गुरुद्वारा, जानिए क्या है इसकी कहानी

Gurudwara
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कनाडा जिसे मिनी पंजाब भी कहा जाता है क्योंकि कनाडा में सिखों की संख्या वहां की कुल जनसंख्या का 2 प्रतिशत है. और जायज सी बात है कि जहाँ सिखों की इतनी बड़ी आबादी रहती होगी वहां सिखों का पवित्र स्थान सिखों के गुरुद्वारों की संख्या भी अधिक होगी. ऐसा ही कनाडा में भी है, कनाडा में गुरुद्वारों की संख्या अधिक है. लेकिन कनाडा का एक गुरुद्वारा ऐसा भी है जो पहले चर्च था. गुरुद्वारे के अध्यक्ष निशान सिंह संधू के अनुसार स्थानीय सिख समुदाय के अनुरोध के बाद कनाडा के एक पुराने चर्च को बदलकर एक गुरुद्वारा बना दिया गया था. इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम सिखों के एक लम्बे संघर्ष ने दिया है.

दोस्तों, आईए आज हम आपको कनाडा के उस गुरूद्वारे के बारे में बताते है जो कभी एक चर्च हुआ करता था.

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कनाडा का वो चर्च जो बन गया गुरुद्वारा

हम आपको बता दे की कनाडा के स्थानीय सिख समुदाय ने वहां गुरुद्वारा बनने के लिए लगभग 20 सालों तक संघर्ष किया था, जिसके बाद 2005 में कनाडा के रैड डियर सिटी में पहली बार ऐसा हुआ था की एक पुराने चर्च को गुरुद्वारे में बदल दिया गया. कनाडा के 63वीं स्ट्रीट पर मौजूद कॉर्नरस्टोन गॉस्पेल चैपल चर्च को ‘गुरु नानक दरबार गुरुद्वारा’ में बदल दिया गया.

एक गुरूद्वारे के पुरे होने के बाद इसे यहाँ रहने वाले लगभग 150 परिवारों, 250 अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और भारत के अस्थायी लोगों के लिए खोल दिए गया, अब इस गुरूद्वारे को सप्ताह के सातों दिन सुबह 6 से रात 8 बजे तक खोला जाता है. यहाँ लोग गुरु ग्रन्थ साहिब जी के दर्शन और अरदास करने के लिए आते है.

निशान सिंह संधू जो की गुरु नानक दरबार गुरुद्वारा के अध्यक्ष है, उनके अनुसार इस गुरूद्वारे को वहां के स्थायी सिख समुदाय दिन प्रतिदिन बढ़ा रहे है. इसका निर्माण चलता ही रहता है. इस गुरूद्वारे में दर्शन करने के लिए लोग बी.सी., कैलगरी और ओंटारियो से यहाँ आते है. गुरुद्वारा के अध्यक्ष के अनुसार इस गुरूद्वारे को बनने में सिख लोगों का लिए पिछले 20 वर्षों से संघर्ष है क्योंकी हमारे पास एकत्रित होने के लिए कोई जगह ही नहीं थी. उन्होंने बताया की कैलगरी, एडमॉन्टन और सर्रे, ब्रिटिश कोलंबिया में पड़ोसी सिख समुदायों से 4,50,000 डॉलर दान प्राप्त हुआ जिससे उसे बिना किसी परेशानी के इमारत खरीदने की अनुमति मिली. गुरुद्वारे में एक बड़ा बेसमैंट और रसोई के साथ एक अलग मंजिल है इस रसोई में लंगर बनाया जाता है. इस गुरुद्वारे में लोग बड़ी मात्रा में सेवा करने आते है.

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