Vaishno Devi Temple History: जब आप जम्मू और कश्मीर के त्रिकुटा पर्वत की ऊंचाई पर स्थित वैष्णो देवी के मंदिर के बारे में सोचते हैं, तो आपको केवल धार्मिक आस्था और विश्वास की याद आती है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि यहां के दर्शन एक चमत्कारी मोड़ पर भी बदल सकते हैं? आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस मंदिर के रहस्यों को और भी दिलचस्प बनाती है।
इस चमत्कारी घटना के बारे में जानने से पहले आइए जानते हैं वैष्णो देवी मंदिर के बारे में:
प्राचीन ग्रंथों में वैष्णो देवी का उल्लेख: Vaishno Devi Temple History
वैष्णो देवी मंदिर का वर्णन प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी मिलता है। त्रिकुटा पर्वत के इस मंदिर में मां पार्वती के आशीर्वाद का तेज सदैव बना रहता है। मान्यता है कि यहां 33 करोड़ देवी-देवता हमेशा मां की पूजा और आराधना में लगे रहते हैं। इस गुफा का इतिहास भी बहुत दिलचस्प है। कुछ समय पहले तक यह गुफा काफी संकरी थी, लेकिन 1977 में एक नई गुफा बनाई गई, जिससे अब श्रद्धालु एक गुफा से मंदिर में प्रवेश करते हैं और दूसरी गुफा से बाहर निकलते हैं।
भैरव का शरीर और माता का त्रिशूल
आपको बता दें, मंदिर की गुफा में भैरव का शरीर रखा हुआ है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, माता वैष्णो ने भैरव को त्रिशूल से मारा था और उसका सिर उड़कर भैरव घाटी में चला गया था, जबकि शरीर वहीं रह गया। यह चमत्कारी घटना आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक रहस्य बनी हुई है।
मां वैष्णो देवी के आशीर्वाद से हर मनोकामना पूरी होती है
वैष्णो देवी की गुफा में मां के दर्शन करने से पहले लोग मन में कुछ विशेष कामना लेकर जाते हैं। भक्तों का मानना है कि मां अपनी सच्ची भक्ति से जुड़ी प्रार्थनाओं को कभी नकारती नहीं हैं और जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास से मां से कुछ मांगता है, वह उसकी इच्छा पूरी होती है। यह मंदिर न केवल आस्था का, बल्कि चमत्कारों का भी केंद्र बना हुआ है।
साल 2014 की वो चमत्कारी घटना
इस मंदिर से जुड़ी एक चमत्कारी घटना साल 2014 में घटित हुई थी। दरअसल साल 2014 की एक दोपहर, मेरठ निवासी सुरवेश कुमार की गर्भवती पत्नी राज बाला (35) अपने पति के साथ वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन करने पहुंची थीं। वह गेट नंबर तीन पर खड़ी थीं और अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं। सब कुछ सामान्य था, लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ जो पूरी दुनिया को हैरान कर गया। राज बाला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और वह वहीं बैठ गईं। सोचिए, वैष्णो देवी की पवित्र गुफा के बाहर, एक भक्त प्रसव कर रही थी—यह तो किसी के लिए भी कल्पना से परे था।
सहयोग से हुआ चमत्कारी जन्म
जैसे ही यह सूचना मंदिर प्रशासन को मिली, तुरंत भवन डिस्पेंसरी से एक मेडिकल टीम मौके पर पहुंची। पंक्ति में खड़ी अन्य महिलाओं ने भी मदद की और राज बाला ने वही बेटे को जन्म दिया। बाद में महिला और बच्चे को हेल्थ सेंटर ले जाया गया और पुलिस के अनुसार, उन्हें सभी स्वास्थ्य सुविधाएं दी गईं और फिर डिस्चार्ज कर दिया गया। यह न केवल वैष्णो देवी मंदिर के इतिहास में एक पहला मामला था, बल्कि यह एक चमत्कारी घटना बन गई, जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सच में मां का आशीर्वाद इतना शक्तिशाली होता है?
राज बाला की खुशी और मां का आशीर्वाद
राज बाला ने बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मेरे पहले दो बच्चे थे, लेकिन इस बार मुझे मां से एक बेटे की उम्मीद थी। गर्भ का अंतिम समय था, फिर भी मैंने मां से प्रार्थना की थी कि मुझे लड़का दे दो। जब प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो मुझे ऐसा लगा जैसे मां ने मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे बेटा दिया।” राज बाला की आंखों में जो खुशी थी, वह शब्दों में नहीं बताई जा सकती। मां के आशीर्वाद से उसकी झोली में बेटा आ गया और उसकी जिंदगी में सुख और समृद्धि का आगमन हुआ।
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