Vaishno Devi Temple Mystery: वैष्णो देवी मंदिर, जो जम्मू कश्मीर के कटरा में स्थित है, हिंदू धर्म के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के समान एक अद्वितीय मंदिर अब मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में भी स्थापित किया गया है, जो श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर पूरी तरह से जम्मू कश्मीर के कटरा स्थित मुख्य वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है और इसकी संरचना भी उसी के जैसा है। यहां श्रद्धालुओं को 98 फीट लंबी गुफा में प्रवेश कर विभिन्न धार्मिक स्थलों का दर्शन करने का अवसर मिलता है, जिसमें बाण गंगा, चरण पादुका, गर्भ गुफा, अर्धकुंवारी और माता के पिंडी शामिल हैं। इसके अलावा, मंदिर में 50 फीट ऊँचाई पर बाबा भैरव नाथ के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
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मंदिर की अद्भुत संरचना और दर्शन– Vaishno Devi Temple Mystery
विदिशा स्थित यह वैष्णो देवी मंदिर न केवल अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भक्तों के लिए भी एक अत्यधिक श्रद्धा का स्थान बन चुका है। इस मंदिर में भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन के साथ-साथ बाबा भैरव नाथ के दर्शन करने के बाद अपनी मन्नतें पूरी होने की उम्मीद रखते हैं। यह मंदिर वैष्णो देवी के अन्य मंदिरों की तरह धार्मिक आस्था और भक्ति का प्रतीक है, जो हर दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
रूपचंद की भक्ति और मंदिर निर्माण की प्रेरणा
इस मंदिर के निर्माण की कहानी काफी दिलचस्प है। विदिशा के रूपचंद बचपन से ही माता के परम भक्त थे। रूपचंद का विश्वास था कि माता रानी उनकी भक्ति से खुश होकर उन्हें स्वप्न में दर्शन देंगी। एक दिन, जब उन्होंने आठ से दस साल तक माता की भक्ति की, तो माता रानी ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और मंदिर बनाने का आदेश दिया। रूपचंद ने इस दिव्य आदेश को अपने स्थानीय लोगों के साथ साझा किया और मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू की। धीरे-धीरे, रूपचंद और उनके सहयोगियों ने इस मंदिर को 1992 में पूर्ण रूप से तैयार किया। हालांकि, इस मंदिर में मूर्तियाँ अभी तक स्थापित नहीं की गई हैं, लेकिन यहां की भक्ति और श्रद्धा को देखकर श्रद्धालु अपनी आस्थाओं को व्यक्त करते हैं।
माता की मूर्ति और चमत्कारी जल स्रोत
रूपचंद ने बताया कि एक दिन माता रानी फिर से स्वप्न में आईं और कहा कि वह जम्मू कटरा से निवास करने के लिए विदिशा आ रही हैं। इसके बाद रूपचंद ने 2004 में कटरा से पिंड लेकर विदिशा के इस मंदिर में स्थापित किया। इस पिंडी में महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती जी की शक्ति विद्यमान है।
इसके अलावा, इस मंदिर में एक और विशेषता है जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। गुफा के भीतर एक प्राकृतिक जल स्रोत है जो 12 महीने निरंतर बहता रहता है। इस जल स्रोत से निकलने वाला पानी कभी खत्म नहीं होता और न ही उसमें कोई गंदगी या काई जमा होती है। रूपचंद का मानना है कि इस जल का सेवन करने से भक्तों के कई रोग दूर होते हैं और यह जल अत्यधिक शुद्ध और चमत्कारी होता है।