Vaishno Devi Travel Guide: हर साल लाखों श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जम्मू के कटरा पहुंचते हैं, लेकिन असली परीक्षा तो यहीं से शुरू होती है करीब 13 किलोमीटर लंबी चढ़ाई, जो माता के भवन तक ले जाती है। कोई पैदल चलता है, कोई घोड़े-खच्चरों की सवारी करता है, तो कोई हेलीकॉप्टर या पालकी का सहारा लेता है। अगर आप पहली बार जा रहे हैं, या फिर ये जानना चाहते हैं कि कौन-सा रास्ता या साधन आपके लिए सबसे बेहतर रहेगा, तो ये रिपोर्ट आपके लिए है। इसमें हम आपको बताएंगे कि कटरा से भवन तक पहुंचने के हर छोटे-बड़े विकल्प की पूरी जानकारी, उनके फायदे-नुकसान और जरूरी सुझाव, ताकि आपकी यात्रा बन जाए आसान, सुकूनभरी और यादगार।
और पढ़ें: Vaishno Devi Aur Bhairav: भैरव बाबा ने वैष्णो देवी से क्यों मांगी क्षमा, यहां पढ़ें मोक्ष कथा
पुराने रास्ते vs ताराकोट मार्ग: कौन-सा बेहतर? (Vaishno Devi Travel Guide)
पुराना मार्ग:
यह मार्ग संकरा होता है और दुकानों, घोड़े-खच्चरों और मानव चहल पहल से भरा रहता है। यहां अक्सर घोड़े-खच्चरों की लीद गिरी होती है और ऊपरी हिस्सों में खड़ी चढ़ाई होती है जिससे थकावट जल्दी होती है। इसलिए पैदल यात्रा करने वालों के लिए यह विकल्प कम सुझाया जाता है।
ताराकोट मार्ग:
ताराकोट वाला नया रास्ता उन लोगों के लिए एकदम सही है जो भीड़-भाड़ और घोड़े-खच्चरों की गंदगी से दूर शांति से माता रानी के दर्शन करना चाहते हैं। इस रास्ते पर वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने काफी अच्छी सुविधाएं दी हैं।
यहां हर कुछ दूरी पर साफ़-सुथरे टॉयलेट, पीने के लिए ठंडा पानी और खाने-पीने की चीज़ें मिलती हैं और सबसे अच्छी बात ये कि ये सब कुछ बिल्कुल मुफ्त है। इसके अलावा रास्ते में फ्री लंगर (भोजन) की भी व्यवस्था रहती है, जहां आप आराम से बैठकर खाना खा सकते हैं, थकान मिटा सकते हैं और फिर दोबारा यात्रा शुरू कर सकते हैं।
इस रास्ते की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां सफर करना बहुत आसान लगता है। रास्ता खुला और चौड़ा है, जिससे भीड़ भी कम महसूस होती है और सफर में मन भी शांत रहता है।
आगे चलकर ये रास्ता पुराने रास्ते से अर्धकुंवारी नाम की जगह पर जाकर जुड़ जाता है। वहां से भवन तक यानी आखिरी 3-4 किलोमीटर का रास्ता बचता है, जो ज्यादा मुश्किल नहीं होता और आसानी से पार किया जा सकता है।
यात्रा के आसान संसाधन: जब पैदल चढ़ाई लगे भारी, तो अपनाएं ये विकल्प
वहीं, मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए कटरा से भवन तक की 13 किलोमीटर लंबी चढ़ाई हर किसी के बस की बात नहीं होती। खासकर बुजुर्गों, बच्चों या बीमार यात्रियों के लिए ये सफर थोड़ा थकाने वाला हो सकता है। लेकिन अच्छी बात ये है कि आज इस यात्रा को आसान बनाने के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। चलिए जानते हैं ऐसे 6 प्रमुख विकल्प जो आपकी यात्रा को आरामदायक बना सकते हैं।
हेलिकॉप्टर सेवा
अगर आप बुजुर्ग हैं, स्वास्थ्य से जुड़ी कोई परेशानी है या बस भीड़-भाड़ से बचना चाहते हैं, तो हेलिकॉप्टर यात्रा सबसे बेहतर विकल्प है। इस सेवा के लिए आपको लगभग 60 दिन पहले बुकिंग करानी होती है। एक तरफ की यात्रा का शुल्क करीब ₹1,045 प्रति व्यक्ति है। हेलीकॉप्टर आपको कटरा से सांझीछत तक ले जाता है, जो भवन से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां से आप पैदल या अन्य साधनों से माता के भवन तक पहुंच सकते हैं। उड़ान का समय सिर्फ 8 मिनट होता है, यानी कम समय में थकानमुक्त यात्रा।
घोड़े और खच्चर सेवा
यह विकल्प पारंपरिक जरूर है, लेकिन आज भी काफ़ी इस्तेमाल होता है। खासतौर पर जिन लोगों को ज्यादा चलना मुश्किल होता है, वे इस सुविधा का लाभ लेते हैं। कटरा से अर्धकुंवारी तक का किराया लगभग ₹700 और अर्धकुंवारी से भवन तक का किराया ₹400 के आसपास होता है। हालांकि गर्मियों में या ज्यादा भीड़ के वक्त यह सफर कुछ असहज हो सकता है, इसलिए बुजुर्गों और छोटे बच्चों के लिए यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
प्रैम सुविधा (पालने जैसा वाहन)
अगर आप छोटे बच्चों के साथ यात्रा पर हैं, तो प्रैम एक बढ़िया विकल्प है। इसमें एक प्रैम में दो बच्चों को आराम से बैठाया जा सकता है। कटरा से अर्धकुंवारी तक का किराया ₹350–₹500 और कटरा से भवन तक ₹700–₹800 तक होता है। यह सुविधा बच्चों के लिए सुरक्षित और आरामदायक होती है, लेकिन बजट थोड़ा बढ़ सकता है।
रोपवे सेवा (भैरव बाबा तक)
माता वैष्णो देवी के भवन से आगे भैरव बाबा के मंदिर तक की चढ़ाई और भी कठिन मानी जाती है। ऐसे में श्राइन बोर्ड ने यहां रोपवे सुविधा शुरू की है। करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी वाला यह रोपवे 15 मिनट में आपको सीधे भैरव घाटी पहुंचा देता है। इस सेवा का प्रति व्यक्ति शुल्क ₹100 है और 40–50 लोग एक बार में यात्रा कर सकते हैं। इससे भैरव बाबा के दर्शन अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गए हैं।
पालकी सेवा
जो लोग घोड़े या खच्चर पर सफर नहीं कर सकते, उनके लिए पालकी सेवा एक सुरक्षित और आरामदायक विकल्प है। पालकी खासकर बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए बेहतर मानी जाती है। अगर वजन 100 किलो से कम है तो शुल्क ₹4,000 और 100 किलो से ज़्यादा है तो ₹4,500 तक लगता है। चार लोग मिलकर पालकी उठाते हैं, इसलिए यह थोड़ा महंगा जरूर है, लेकिन सफर बेहद सहज रहता है।
बैटरी कार सेवा
वैष्णो देवी यात्रा में बैटरी कार सेवा भी अब उपलब्ध है, जो खासतौर पर दिव्यांगों, बुजुर्गों और बीमार यात्रियों के लिए शुरू की गई है। यह सेवा अर्धकुंवारी से भवन तक चलती है और प्रति व्यक्ति लगभग ₹350 का चार्ज लगता है। यह सफर बेहद आरामदायक होता है और यात्रा के दौरान एक तरह का मॉडर्न टच भी देता है।
इन सुविधाओं की मदद से अब मां वैष्णो देवी के दर्शन पहले से कहीं ज्यादा आसान, सुरक्षित और सुविधाजनक हो गए हैं। आप अपनी ज़रूरत और बजट के मुताबिक इनमें से कोई भी विकल्प चुन सकते हैं और बिना थके माता के दर्शन का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
यात्रा का सही निर्णय कैसे लें?
- शारीरिक स्थिति: बुजुर्ग, बच्चा या दिव्यांग होने पर हेलिकॉप्टर, प्रैम, पालकी या बैटरी कार चुनें।
- बजट: हेलिकॉप्टर और पालकी महंगे हो सकते हैं, जबकि बैटरी कार और प्रैम किफायती हैं।
- आराम vs अनुभव:
- अनुभव की तलाश में हैं—ताराकोट मार्ग और थोड़ी पैदल चढ़ाई के साथ आपकी यात्रा स्मरणीय बनेगी।
- आकस्मिक आराम चाहिए—हेलिकॉप्टर या बैटरी कार बेहतर रहेंगी।