पिछले दिनों नेड्रिक न्यूज ने एक खबर चलाई थी, जिसमें यह बताया गया था कि किस तरह वाराणसी के सारनाथ स्थित एसबीआई के स्टाफ पहले घूस मांगते हैं और नहीं मिलने पर अकाउंट ब्लॉक कर देते हैं। इस पूरे मामले में कहीं न कहीं बैंक के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत की संभावना होने की भी हमने बात बताई थी। नेड्रिक न्यूज के खबर छापने के बाद अधिकारियों के कान खड़े हो गए थे, क्योंकि पीएम, वित्त मंत्री, एसबीआई के बड़े अधिकारियों के पास भी इस खबर का लिंक भेजा गया था। अब इस मामले में ताजा खबर यह है कि अधिकारियों ने उस महिला का बैंक अकाउंट अनब्लॉक कर दिया है। महिला ने संवाददाता से बताया कि जिस एलआईसी स्टाफ की मिलीभगत के कारण बैंक अकाउंट ब्लॉक हुआ था, उस स्टाफ ने बैंक अकाउंट ब्लॉक होने को अपनी भूल कहा है और उसके लिए उसने क्षमा भी मांगी है।
आपको बता दें कि वाराणसी के सारनाथ एसबीआई ब्रांच के एक बैंक स्टाफ का ऐसा मामला सामने आया था, जिसके बारे में सुनकर होश उड़ गए थे। बताया जा रहा था कि बैंक का स्टाफ एलआईसी एजेंट और अधिकारियों से मिलकर लोगों के बैंक अकाउंट और एटीएम को ब्लॉक करता है। बैंक या एटीएम से पैसे निकालने जब लोग जाते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उनके एटीएम से पैसे नहीं निकल रहे हैं। इसके बाद परेशान कस्टमर बैंक जाकर जानकारी मांगते हैं तो पता चलता है कि उनका अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया है इसलिए वे पैसे नहीं निकाल सकते।
एलआईसी एजेंट और एसबीआई स्टाफ ने घूस मांगे, पैसे नहीं मिलने पर अकाउंट कर दिया ब्लॉक !
जानकारी के लिए बता दें कि यूपी के सारनाथ स्थित एसबीआई के स्टाफ की इन्हीं नीतियों से परेशान सारनाथ के सुल्तानपुर में रहनेवाली एक विधवा बैंक अकाउंट ब्लॉक होने के कारण पिछले एक महीने से बैंक का चक्कर काट रही थीं। महिला ने जब बैंक स्टाफ से संपर्क किया तो उसने बैंक अकाउंट ओपन करने के बदले 31 हजार रुपये घूस मांगे। उक्त महिला ने तुरंत अपने भाई (दिल्ली स्थित हेडक्वार्टर ऑल इंडिया रेडियो में बतौर समाचार संपादक कार्यरत हैं) को फोन किया और सारी बातें बताईं। भाई ने बैंक स्टाफ से अपनी बहन के मोबाइल के द्वारा बात की। पहले तो स्टाफ बात करने से इंकार करता रहा लेकिन जब महिला ने भाई का परिचय दिया तो उसने फोन पर बात की, लेकिन स्टाफ पूरे समय आवाज नहीं सुनाई देने का बहाना करता रहा। जब भाई को महिला ने विस्तार से पूरी बात बताई तो पता चला कि पूरे मामले में एक एलआईसी एजेंट जगदंबा मिश्रा का हाथ है और जगदंबा मिश्रा का साथ दे रहा है गांव का ही एक अन्य एलआईसी एजेंट नगऊ पटेल।
महिला ने बताया की उनके पति की एक्सीडेंट में मौत के बाद एलआईसी का पैसा दोबारा आने की बात कह कर जगदंबा मिश्रा 31 हजार रुपये मांग रहा है। महिला के अनुसार, एजेंट का कहना है कि अगर वह ये पैसे दे देती हैं तो उनका बाकी पैसा माफ हो जाएगा। महिला ने जब पूछा कि अगर गलत पैसा आ भी गया होगा तो बैंक स्टाफ मेरा बैंक अकाउंट कैसे बंद करवा सकता है। एलआईसी के पैसे से बैंक का क्या लेना-देना। उनका कहना था अगर ऐसा कुछ हुआ है तो गलती आपलोगों ने की है और इसके लिए उन्हें समय देना चाहिए, क्योंकि उनकी नीयत ऐसी नहीं है कि वे सरकारी पैसे को लें।
जानकारी के लिए बता दूं कि बैंक बिना किसी पूर्व सूचना या उचित कारण बताए किसी भी कस्टमर का बैंक अकाउंट नहीं बंद कर सकता है। जब महिला ने जगदंबा मिश्रा को बैंकिंग नियमों की दुहाई दी और कहा कि आप कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं तो उसने एक न सुनी और दूसरे दिन बैंक स्टाफ के साथ मिलकर उनका अकाउंट बंद करवा दिया। महिला का कहना है कि उनका अकाउंट आज तक बंद है। बड़ी बात यह है कि महिला की एक बेटी दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती है और छोटा बेटा वाराणसी के एक स्कूल में पढ़ाई करता है। अकाउंट ब्लॉक होने से वे अपने बच्चों को खर्च का पैसा भी नहीं भेज पा रही थीं। साथ ही घरेलू खर्च के लिए भी उनके पास पैसे नहीं बचे थे।
दूसरी तरफ महिला के छोटे भाई (मुंबई में एक एमएनसी कंपनी में ऊंचे पोस्ट पर कार्यरत हैं) को अपनी बहन से मांगे गए घूस का पता चला तो उन्होंने एसबीआई के जनरल मैनेजर, एजीएम-लखनऊ रिजन और सारनाथ एसबीआई ब्रांच को दो बार मेल किया, लेकिन किसी ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया और न ही बैंक स्टाफ या मैनेजर पर कोई कार्रवाई की। दोनों भाई प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, एलआईसी इंडिया, एसबीआई को सोशल साइट्स के माध्यम से पूरे मामले की जानकारी दे चुके थे, ताकि इस पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो सके।
हालांकि इस पूरे मामले ने भारत में एसबीआई की बैंकिंग व्यवस्था को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। बैंकिंग स्टाफ अगर इस तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो इससे सारनाथ एसबीआई के बैंक मैनेजर या अन्य बड़े अधिकारियों की बैंकिंग व्यवस्था के प्रति जवाबदेही पर सवाल खड़ा होता है। हालांकि जिस तरह से बैंक स्टाफ द्वारा इस पूरे मामले को अंजाम दिया गया है, उसे देखते हुए इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि ये सारा गड़बड़झाला सारनाथ ब्रांच के बैंक बड़े अधिकारियों की नाक के नीचे हो रहा है।