आज पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस गणेश चतुर्थी हर रोज भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं। शास्त्रों में कहा गया है कि गणपति बप्पा को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका मोदक का भोग लगाकर करना है। भगवान गणेश को खुश करने के लिए आप चाहे मालपुआ, रसगुल्ला और रसमलाई कुछ भी चढ़ा लें लेकिन अगर आप मोदक का भोग नहीं लगाएगें तो आपका छप्पन भोग भी गणेश जी पसंद नहीं करेंगे।
गणपति बप्पा को मिठाई में सबसे ज्यादा मोदक पसंद है। लेकिन उनका मोदक पसंद करना भी बुद्धिमानी का प्रतीक है। आइए आपको बताते हैं कि गणेश जी को मोदक आखिर इतना पसंद क्यों है। मोदक प्रसन्नता देने वाली एक मिठाई होती है जिस वजह से भगवान गणेश को मोदक बहुत प्रिय है। मोदक के शब्द पर ध्यान दें तो ‘मोद’ का अर्थ हर्ष यानी खुशी होता है।
इसके अलावा परशुराम जी से युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया था। जिस वजह से उन्हें बाकि की चीजे खाने में तकलीफ होती है। क्योंकि अन्य चीजों को चबाना पड़ता है। लेकिन मोदक बहुत ही मुलायम होती है इसे चबाना भी नहीं पड़ता है। यह मुंह में जाते ही घुल जाता है।
आपको बता दें कि शास्त्रों में गणपति बप्पा को मंगलकारी और हमेशा खुश रहने वाला देवता बताया गया है। वह कोई भी चिंता नहीं लेते हैं। इसका कारण भी मोदक ही है। क्योंकि मोदक बप्पा को हमेशा खुश रखता है। इसी वजह से उन्हें मोदक अधिक प्रिय है।
पद्म पुराण के सृष्टि खंड में गणपति जी को मोदक पसंद होने की कथा बताई गई है। उस कथा के मुताबिक मोदक अमृत से बनाया गया था। एक दिव्य मोदक देवताओं ने माता पार्वती को दिया था। जब गणपति बप्पा को माता पार्वती ने मोदक के गुणों को बताया तो उनको मोदक खाने की इच्छा उत्पन्न हो गई। जिसके बाद भगवान गणेश ने चतुराई से माता से मोदक ले लिया था। बप्पा को मोदक खाने के बाद इतना पसंद आया कि मोदक गणेश जी का प्रिय बन गया।
बात दें कि गणपत्यथर्वशीर्ष में लिखा है “यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।” इसका अर्थ है कि जो इंसान गणेश जी को मोदक अर्पित करके प्रसन्न करता है। उस व्यक्ति को गणेश भगवान मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।