नई दिल्ली : देश में बंदरगाहों से होने वाले पशुधन निर्यात को लेकर सरकार ने फैसला लिया है। जिसके मुताबिक देश के सभी बंदरगाहों से पशुधन निर्यात को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया है। ऐसा फैसला जानवरों के हितों को देखते हुए किया गया है।
दरअसल, जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने इस बारे में सरकार से कार्रवाई की मांग की थी। जिस पर केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने सभी बंदरगाहों से पशुओं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला लिया है। केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने इस बारे में बताया कि ऐसी जानकारी मिली कि कच्छ के दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट के टूना पोर्ट से भेड़ों और बकरियों का निर्यात किया जा रहा था। ये खेप दुबई जा रही थी। अनुमान था कि ऐसा इन पशुओं के वध के लिए किया जा रहा था।
आपको बता दें कि पशुधन की ऐसी बड़ी खेपें ईद-उल-अजहा यानी बकरीद से संयुक्त अरब अमीरात ले जायी जाती है। यूएई में ऐसे त्योहार पर ऊंटों और सांड़ों के अलावा बड़े पैमाने पर बकरियों और भेड़ों का वध किया जाता है। जानकारी दे दें कि बकरीद इस साल 22 अगस्त को हो सकती है।
जीवों पर दया करने वाले और जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली कई संस्थाओं ने इस बारे में शिकायत की थी । कुछ दिनों पहले ही नागपुर एयरपोर्ट से पशुधन के निर्यात पर विरोध जताया गया और हंगामा किया गया था। जिसे देखते हुए सरकार ने सभी राज्यों से अनुरोध किया कि इस पर रोक लगाई जाये। आपको बता दें कि गुजरात सरकार ने पहले ही इस संबंध में ऐसी मांग की थी।
देखने वाली बात ये है कि मंत्रालय ने ये फैसला उस वक्त सुनाया है जब एनडीए सरकार के कार्यकाल में पशुधन निर्यात में इजाफा हुआ है। पशुधन निर्यात साल 2013-14 के दौरान 69.30 करोड़ रुपये का हुआ था जो 2016-17 में बढ़कर 527.40 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा।