नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए को लेकर काफी मतभेद चल रहा है। अलगाववादी इसे राज्य से हटाने के विरोध में हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि अनुच्छेद 35-ए को राज्य से हटा देना चाहिए। इस बहस के बीच सोमवार को अनुच्छेद 35-ए पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। जो अब टाल दी गयी है।
35-ए वाली जनहित याचिका पर होने वाली सुनवाई को फिलहल टाल दी गयी है। जानकारी के मुताबिक 3 जजों की बेंच में से एक जज छुट्टी पर थे। सोमवार को होने वाली इस सुनवाई करने वाली बेंच नें शमिल जस्टिस चंद्रचूड़ छुट्टी पर हैं। अब मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को तय की गयी।
आपको बता दें कि अनुच्छेद 35-ए हटाने के विरोध में अलगाववादियों ने घाटी में 2 दिन के बंद का आह्वान किया है जिसके बाद रविवार को कश्मीर घाटी पूरी तरह बंद रही, जम्मू संभाग के किश्तवाड़ बंद का असर दिखायी दिया। सोमवार को भी बंद की वजह से हिंसा का खतरा बना रहा। इलाके में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए बनिहाल से बारामुला के बीच ट्रेन सेवाएं रोक दी गयी हैं। इतना ही नहीं बंद को देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर जम्मू बेस कैंप से अमरनाथ यात्रा के जत्थे को 2 दिन के लिए रोक दी गयी है। तो वहीं सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हैं।
बंद का आह्वान करने वाले इन अलगाववादियों का मानना है कि अगर 35-ए के साथ छेड़छाड़ की गयी तो राज्य की डेमोग्राफी बदल जाएगी। 35-ए के समर्थन में कुछ पार्टियां खुलकर सामने आ रही हैं। पीडीपी, नेकां और सीपीआई (एम) अनुच्छेद 35-ए के समर्थन में हैं। इन पार्टियों का कहना है कि इससे राज्य के विशेष दर्जे को नुकसान होगा।
वहीं इस आईएएस अफसर शाह फैसल ने इस मुद्दे पर विवादित बयान दिया है। शाह फैसल ने ट्वीट कि अनुच्छेद 35-ए को हटाने से जम्मू-कश्मीर का देश से रिश्ता खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वे 35-ए की तुलना शादी दस्तावेज और निकाहनामा से करते हैं। अगर इसे अमान्य किया गया तो रिश्ता खत्म। शाह फैसल ने कहा कि 35-ए को जारी रखने से देश की एकता और अखंडता पर कोई असर नहीं होगा। देश की एकता-अखंडता को किसी भी तरह से चुनौती नहीं दी जा सकती है।
आपको बता दें कि 2010 बैच के टॉपर रहे फैसल इन दिनों अमेरिका में मिड करियर मास्टर्स प्रोग्राम चला रहे हैं। फैसल ने देश में रेप की बढ़ती घटनाओं पर ट्वीट किया था। इस ट्वीट की वजह से सरकार उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर रहा है।
इससे पहले शुक्रवार को राज्य सरकार ने 6 अगस्त को 35-ए पर होने वाली सुनवाई को टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट को पत्र भेज दिया। जिसमें राज्य सरकार की तरफ से सुनवाई को रोकने का कारण बताया गया था कि राज्य में पंचायत, स्थानीय निकाय और नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं और इन चुनावों की तैयारियां करनी है। इसके लिए 35ए पर सुनवाई को टाल दिया जाये। आपको बता दें कि राज्य में होने वाले इन चुनावों की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
अनुच्छेद 35-ए में क्या है
जम्मू-कश्मीर के बाहर का व्यक्ति राज्य में अचल संपत्ति खरीदने का हकदार नहीं है। दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां का नागरिक नहीं बन सकता। राज्य की लड़की किसी बाहरी लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगे।
35-ए के कारण ही पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थी अब भी राज्य के मौलिक अधिकार नहीं ले पा रहे हैं। यहां रह रहे लोग जिनके पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र नहीं है वे स्थानीय निकाय चुनाव में वोट नहीं दे सकते हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में उन्हें वोट देने का अधिकार है।
35-ए के मुताबिक, इस राज्य का नागरिक सिर्फ वही माना जाएगा जो 14 मई 1954 से राज्य का नागरिक रहा हो या फिर 14 मई 1954 के 10 साल पहले से राज्य में रह रहा हो या इससे पहले या इस दौरान यहां पहले ही संपत्ति बना ली हो या हासिल की हो।
इस वजह से अनुच्छेद 35ए पर हो रहा विवाद
देश के संविधान में में अनुच्छेद 370 है जो जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य बनाता है। लेकिन लेकिन 1954 में अनुच्छेद 370 में एक उपबंध के रूप में अनुच्छेद 35ए जोड़ो गया। यह मूल संविधान का हिस्सा तो नहीं है लेकिन परिशिष्ट में इस अनुछेद को जगह दी गयी लेकिन जनता को इस बारे जारूकता नहीं थी। अनुच्छेद 368 के मुताबिक, वैसे तो अनुच्छेद 35ए संसद से पारित नहीं हुआ। जिसके बाद कहा जाने लगा कि से एक अध्यादेश की तरह महज 6 महीने से ज्यादा राज्य में लागू नहीं किया जा सकता। लेकिन जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35ए आज भी लागू है।