Afghanistan vs Pakistan Conflict: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव अब एक नई दिशा में बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। दोनों देशों के बीच ड्यूरंड रेखा (Durand Line) पर लगातार गोलीबारी हो रही है, और हालात बेहद जटिल हो गए हैं। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, अफगान सेना ने पाकिस्तान की सैन्य चौकियों पर जोरदार हमला किया है, जो काबुल पर पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमले का जवाब माना जा रहा है। सीमा पर रॉकेट, मोर्टार और हैवी मशीनगनों की आवाजें सुनाई दे रही हैं, जिससे दोनों देशों की सीमावर्ती बस्तियों में दहशत फैल चुकी है।
पाकिस्तान की चौकियों पर अफगान सेना का हमला- Afghanistan vs Pakistan Conflict
अफगान रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया है कि नंगरहार और कुनार प्रांतों में अफगान सेना ने पाकिस्तान की दो सैन्य चौकियों को नष्ट कर दिया है। इन चौकियों पर अफगान सेना ने 201वीं खालिद बिन वलीद आर्मी कॉर्प्स के जरिए हमला किया। अफगानिस्तान के अनुसार, यह जवाबी कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा काबुल पर किए गए हवाई हमलों के खिलाफ की गई थी। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, लड़ाई अभी भी जारी है और दोनों देशों के बीच सीमा पर स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण हो गई है।
सीमा पर भीषण गोलीबारी और संघर्ष
पकतिया और हेलमंद प्रांतों में भीषण फायरिंग की घटनाएं सामने आई हैं। पकतिया के आरियुब ज़ाजी इलाके में अफगान और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच मुठभेड़ हुई, जबकि हेलमंद प्रांत के बरामचा जिले में भी गोलाबारी की खबरें आई हैं। अफगान सेना ने यहां भी पाकिस्तान की सैन्य चौकियों को निशाना बनाया है। अफगान रक्षा मंत्रालय ने इस संघर्ष को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया बताया है और कहा है कि किसी भी विदेशी हमले का जवाब देना उनका अधिकार है।
काबुल पर हवाई हमले का जवाब
अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “पाकिस्तान द्वारा काबुल पर किए गए हवाई हमलों का जवाब अफगान सेना ने पाकिस्तान की सैन्य चौकियों पर कार्रवाई करके दिया है। हम अपनी रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं।” अफगानिस्तान की यह प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से दोनों देशों के बीच रिश्तों में बढ़ते तनाव और विश्वास की कमी को दर्शाती है।
ड्यूरंड रेखा और 130 साल पुराना विवाद
आपको बता दें, यह संघर्ष दरअसल 1893 में ब्रिटिश राज द्वारा खींची गई ड्यूरंड रेखा के आसपास हो रहा है, जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच विवाद का मुख्य कारण रही है। अफगानिस्तान कभी भी इस रेखा को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करता और इसे ‘काल्पनिक सीमा‘ मानता है। यही कारण है कि सीमा पर झड़पें अक्सर होती रहती हैं। इस बार की गोलीबारी पहले की तुलना में कहीं अधिक संगठित और व्यापक बताई जा रही है।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान के रिश्तों का इतिहास
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से जटिल रहे हैं। 1990 के दशक में, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, पाकिस्तान और अफगानिस्तान अच्छे दोस्त थे। पाकिस्तान ने तालिबान को सैन्य और आर्थिक समर्थन दिया था। लेकिन 2001 में तालिबान का पतन और पाकिस्तान की समर्थन नीति के चलते दोनों देशों के रिश्ते खराब होते गए। 2007 में इस्लामाबाद में लाल मस्जिद पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच दुश्मनी की शुरुआत हुई थी।
इसके बाद पाकिस्तान के भीतर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के गठन ने भी दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ाया। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आरोप लगाया कि वह टीटीपी का समर्थन करता है, जबकि अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया। इस तनाव ने दोनों देशों के रिश्तों को और बिगाड़ा।
आने वाले दिनों में क्या होगा?
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर दोनों देशों के बीच इस सीमा संघर्ष को जल्द ही काबू नहीं पाया गया, तो यह एक बड़े क्षेत्रीय संकट का रूप ले सकता है। काबुल पर हुए पाकिस्तानी हवाई हमले के बाद अफगानिस्तान ने पहले ही चेतावनी दी है कि वह किसी भी बाहरी हमले का जवाब देगा। इस स्थिति में दोनों देशों के रिश्ते एक बार फिर खाई में जा सकते हैं और अगर यह संघर्ष बढ़ता है तो दक्षिण एशिया के सुरक्षा परिदृश्य पर गंभीर असर डाल सकता है।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की ये तनावपूर्ण स्थिति न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि इससे वैश्विक राजनीति में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।