China-Pakistan Donkey Trade: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को चीन से भारी सैन्य सहायता मिली। इसमें जे-10सी लड़ाकू विमान और पीएल-15 मिसाइल जैसी आधुनिक हथियार शामिल थे। पाकिस्तान ने इन हथियारों की मदद से भारत के ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। पाकिस्तान अपनी इस सैन्य मदद और चीन के साथ दोस्ती को गर्व के साथ दुनिया के सामने पेश करता है।
गधे के मांस और खाल का कारोबार: चीन-पाकिस्तान का अनोखा व्यापार – China-Pakistan Donkey Trade
हालांकि चीन और पाकिस्तान के रिश्ते सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं हैं। चीन को हथियार देने के बदले पाकिस्तान उसे गधों का मांस और खाल निर्यात करता है। यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह एक सच्चाई है। पाकिस्तान ने ग्वादर में गधे के मांस और खाल के लिए एक बड़ा बूचड़खाना भी स्थापित किया है।
ग्वादर बूचड़खाना: उत्पादन और निर्यात की योजना
पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय के अनुसार, ग्वादर में चालू बूचड़खाने में गधों को काटकर उनके मांस, हड्डियां और खाल निकाले जाते हैं, जिनका निर्यात चीन को किया जाता है। पाकिस्तान ने चीन के साथ सालाना 2,16,000 गधों के मांस और खाल की आपूर्ति के लिए समझौता किया है। यह समझौता लगभग 8 मिलियन डॉलर का है।
एजियाओ: पारंपरिक चीनी दवा में गधे की खाल का महत्व
चीन में गधे की खाल से बनने वाली पारंपरिक दवा ‘एजियाओ’ बहुत प्रसिद्ध है। यह जिलेटिन गधे की त्वचा से बनाया जाता है और खून बढ़ाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा त्वचा की सुंदरता के लिए उपयोग होता है। एजियाओ का इतिहास किंग राजवंश (1644-1912) से जुड़ा है, जब यह अमीरों के बीच लोकप्रिय था। आज यह चीन में एक लग्जरी प्रोडक्ट बन चुका है, जिसकी कीमत पिछले दस वर्षों में 30 गुना बढ़ी है।
स्थानीय विवाद और विरोध प्रदर्शन
ग्वादर में बूचड़खाने के कारण बलूचिस्तान के स्थानीय लोग काफी नाराज हैं। उन्हें लगता है कि सरकार और चीन मिलकर उनके संसाधनों का दोहन कर रहे हैं। ग्वादर के आसपास के इलाके में गधे का बूचड़खाना स्थापित होने को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। स्थानीय जनता का कहना है कि यह कदम उनके सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ है।
आर्थिक पहल और रोजगार के अवसर
पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा मंत्री राणा तनवीर हुसैन ने चीन के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में कहा कि यह पहल निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि स्थानीय गधा नस्लों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम लागू किए जाएंगे। गधों के पालन में किसी खास विशेषज्ञता की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह व्यवसाय पाकिस्तान के लिए विदेशी मुद्रा कमाने का अच्छा स्रोत बन गया है।
सामाजिक बहस और पशुप्रेमियों की चिंता
इस ‘गधा इकोनॉमी’ को लेकर पाकिस्तान में सामाजिक और सांस्कृतिक बहस भी छिड़ गई है। कई पशु प्रेमी और गैर सरकारी संगठन इस कारोबार को अनुचित मानते हैं और इसके खिलाफ अभियान चला रहे हैं। वे गधों के जीवन और सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहे हैं।