China-Taiwan Conflict: ताइवान और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक नई रणनीति सामने आई है, जिसने साइबर और समुद्री सुरक्षा को लेकर नई चिंता खड़ी कर दी है। अमेरिका स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर (ISW) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन अब पारंपरिक सैन्य दबाव से हटकर ‘संज्ञानात्मक युद्ध’ (Cognitive Warfare) की ओर बढ़ रहा है और इसका केंद्र है ताइवान का समुद्री क्षेत्र।
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन अब अपने जहाजों से नकली ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) सिग्नल भेज रहा है, जो ताइवान के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) में भ्रम फैलाने और प्रतिक्रिया प्रणाली को परखने की एक सुनियोजित रणनीति मानी जा रही है।
नकली सिग्नल, असली मकसद- China-Taiwan Conflict
ताइपे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में कई चीनी मछली पकड़ने वाले जहाजों ने झूठे AIS सिग्नल भेजे हैं। इनमें से कुछ जहाज रूसी युद्धपोत या चीनी कानून प्रवर्तन जहाजों का रूप लेते नजर आए। जैसे, एक नाव ‘मिन शि यू 06718’ ने कई बार अपने AIS सिग्नल की जगह ‘हाई शुन 15012’ नामक पोत का सिग्नल प्रसारित किया।
दिलचस्प बात यह है कि ‘हाई शुन’ पोत आमतौर पर चीन की मैरीटाइम सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (CMSA) द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, जो कोई सैन्य एजेंसी नहीं है। इसका मतलब साफ है मछली पकड़ने वाली नावें CMSA जहाजों का छद्मवेश धारण कर रही हैं, ताकि ताइवान के रडार और निगरानी तंत्र में भ्रम पैदा किया जा सके।
रूसी युद्धपोत बनकर आई चीनी नाव?
17 सितंबर को एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब ‘मिन शि यू 07792’ नाम की नाव ने रूसी युद्धपोत ‘532’ का AIS सिग्नल ताइवान के उत्तर में प्रसारित किया। इतना ही नहीं, उसी दिन अन्य ‘मिन शि यू’ नावों ने भी अलग-अलग झूठे सिग्नल भेजे किसी ने खुद को टगबोट बताया, तो किसी ने दूसरी मछली पकड़ने वाली नाव का रूप लिया।
यह कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि पूरी तरह से समन्वित कार्रवाई थी। ISW ने इसे चीन की AIS स्पूफिंग तकनीक का हिस्सा बताया है, जो ताइवान की प्रतिक्रिया रणनीति की परीक्षा लेने और उसके सूचना तंत्र को गड़बड़ाने की कोशिश का हिस्सा है।
कौन हैं ये नाविक?
रिपोर्ट के अनुसार, ये मछली पकड़ने वाली नावें चीनी समुद्री मिलिशिया का हिस्सा हो सकती हैं। चीन पहले भी इन नावों का इस्तेमाल दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में ‘ग्रे जोन’ रणनीति के तहत कर चुका है यानी ऐसा दबाव, जो पूरी तरह युद्ध नहीं है, लेकिन तनाव पैदा करने के लिए काफी है।
ताइवान पर चौतरफा दबाव
AIS सिग्नल से छेड़छाड़ ही नहीं, 15 से 17 सितंबर के बीच चीनी तटरक्षक जहाजों ने चार बार ताइवान के किनमेन काउंटी के प्रतिबंधित जलक्षेत्र में घुसपैठ की। यह सब मिलकर चीन की उस रणनीति की ओर इशारा करता है, जिसमें वो पारंपरिक युद्ध के बिना ही विरोधी को मानसिक और सूचना के स्तर पर कमजोर करना चाहता है।