China YJ-21 Missile Details: चीन ने अपने ‘विजय दिवस’ (V-Day) के मौके पर जो सैन्य शक्ति दिखाई, उसमें सबसे ज़्यादा चर्चा YJ-21 मिसाइल को लेकर हो रही है। इसे चीन की ‘कैरियर किलर’ या ‘किलर मिसाइल’ कहा जा रहा है। वजह है इसकी रफ्तार, टारगेट को भेदने की क्षमता और उसका हमला इतना तेज़ होता है कि आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम भी इसे रोक पाने में मुश्किल महसूस करें।
YJ-21 नेवी और एयरफोर्स दोनों के लिए एक खतरनाक हथियार के रूप में सामने आई है। ये मिसाइल करीब मैक 6 से मैक 10 (यानी आवाज की गति से 6 से 10 गुना तेज़) की रफ्तार से वार करती है। इस स्पीड पर आने वाला कोई भी हथियार दुश्मन के रडार से बचना तो दूर, सीधे टारगेट पर फट पड़ता है। चीन की इस परेड में YJ-21 के साथ-साथ DF-17 और DF-26D मिसाइलें भी नजर आईं जो मिलकर चीन की हाइपरसोनिक स्ट्राइक कैपेबिलिटी को दुनिया के सामने रखने का संकेत हैं।
हवा से समुद्र तक – हर दिशा में घातक China YJ-21 Missile Details
YJ-21 की एक और खास बात ये है कि इसे हवा और पानी दोनों जगहों से लॉन्च किया जा सकता है। मिसाइल पारंपरिक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की तरह नहीं है। बल्कि ये पहले वायुमंडल से बाहर जाती है और फिर बैलिस्टिक पाथ पर चलते हुए दुश्मन पर टारगेट करती है। इसका टर्मिनल स्पीड (अंतिम चरण की रफ्तार) इतनी तेज होती है कि दुनिया के सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम भी इससे पार नहीं पा सकते।
इसे PLA नेवी के टाइप 055 डेस्ट्रॉयर, टाइप 054B फ्रिगेट, और एयरफोर्स के H-6K और H-6N बमवर्षकों पर तैनात किया गया है। यानी ये समुद्र में चल रहे दुश्मन के एयरक्राफ्ट कैरियर्स, बड़े जहाज़ और बेस पर हमला करने में सक्षम है।
DF-21D से YJ-21 तक का सफर
विशेषज्ञों का मानना है कि YJ-21, चीन की पुरानी ‘एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल’ DF-21D पर आधारित है। 2010 में DF-21D को “कैरियर किलर” का नाम मिला था और अब YJ-21 ने उस तकनीक को और भी आधुनिक बना दिया है। इसमें हाइपरसोनिक फ्लाइट और एडवांस गाइडेंस सिस्टम जोड़े गए हैं।
चीन इसे अपनी Anti-Access/Area Denial (A2/AD) रणनीति का हिस्सा मानता है, जिसका मकसद ये है कि अमेरिका जैसे देशों की नेवी को चीन की समुद्री सीमा के आसपास न आने दिया जाए।
भारत और अमेरिका के लिए नई चिंता
YJ-21 सिर्फ एक मिसाइल नहीं है, बल्कि चीन की समुद्री रणनीति का अहम हथियार बन चुकी है। इसका खुलासा भारत और अमेरिका दोनों के लिए रणनीतिक चिंता की बात है। भारत अभी ब्रह्मोस-II जैसे हाइपरसोनिक मिसाइलों पर रिसर्च कर रहा है, लेकिन चीन इन्हें पहले ही तैनात कर चुका है।
अगर चीन इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात करता है, तो भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर, डिस्ट्रॉयर और बड़े जहाज़ों को सीधा खतरा होगा। वहीं अमेरिका के लिए भी यह बड़ा सिरदर्द है क्योंकि YJ-21 को खासतौर पर अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स को टारगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। अमेरिकी SM-6 जैसे डिफेंस सिस्टम्स भी इतनी तेज़ गति से आने वाली मिसाइलों को रोकने में सक्षम नहीं हैं।
तकनीकी आंकड़े (अनुमानित):
- स्पीड: मैक 6 से मैक 10
- रेंज: 1200–1500 किमी
- वारहेड: हाई-एक्सप्लोसिव (न्यूक्लियर कैपेबिलिटी अस्पष्ट)
- गाइडेंस सिस्टम: INS + एक्टिव रडार या इन्फ्रारेड सीकर
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: टाइप 055 डेस्ट्रॉयर, H-6N बमवर्षक