इस अरब देश में टाइम बदलने की वजह से मुसलमान और ईसाई के बीच छिड़ सकती है सिविल वॉर?

इस अरब देश में टाइम बदलने की वजह से मुसलमान और ईसाई के बीच छिड़ सकती है सिविल वॉर?

लेबनान सरकार (government of lebanon) ने एक बदलाव की घोषणा करी है और ये बदलाव घड़ी के समय को लेकर है. दरअसल, रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय (muslim community) को राहत देते हुए लेबनान सरकार ने घड़ी के समय में बदलाव नहीं करने और विंटर टाइम () को ही बरकरार रखने का फैसला किया है और इस फैसले के बाद दो मजहबों में टकराव के हालात पैदा हो गया है.

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साल में दो बार बदला जाता है घड़ियों का समय 

जानकारी के अनुसार, पश्चिमी देश में सर्दियों में दिन छोटे, जबकि गर्मियों में थोड़े बड़े होते हैं ज्सिकी वजह से यहाँ पर दिन का पूरा इस्तेमाल हो सके, इसके लिए साल में दो बार घड़ियां ऑफिशियली आगे-पीछे की जाती हैं. ये नियम देशभर में लागू होता है. वहीं लेबनान में हर साल मार्च के आखिरी संडे को घड़ियां एक घंटा आगे की जाती हैं. लेकिन इस बार ये नियम जल्दी लागू हो गया 

क्यों बदला गया समय 

लेकिन वहां के कार्यवाहक प्रधान मंत्री नजीब मिकाती (Prime Minister Najib Mikati) ने इस बार इसे 20 अप्रैल से लागू करने का एलान किया. उनकी दलील थी कि इससे रमजान के दौरान लोगों को आराम मिल सकेगा. कुछ ही दिनों बाद पीएम ने एक बार फिर अपना फैसला बदलते हुए कहा कि 20 अप्रैल नहीं, डे-लाइट सेविंग टाइम इस साल बुधवार, 29 मार्च की आधी रात से लागू होगा लेकिन इस फैसले से क्रिश्चियन समुदाय (christian community) को लोग नाराज हैं.

क्रिश्चयन समुदाय ने किया फैसले का विरोध

लेबनान के सबसे बड़े मेरोनाइट चर्च (Largest Maronite Church in Lebanon) ने फैसले के विरोध में कहा कि वे अपनी घड़ी के समय को एक घंटा आगे बढ़ाकर सेट करेंगे, जो मार्च महीने के आखिरी में आमतौर पर किया जाता है. चर्च ने इस फैसले को चौंकाने वाला बताया और साथ ही अन्य क्रिश्चयन संस्थानों, और स्कूलों ने चर्च के मुताबिक ही घड़ी को एक घंटा आगे सेट करने का फैसला किया. मार्च महीने के आखिरी रविवार को यहां घड़ी का समय बदला जाता है, जो यूरोपीय देशों के साथ संरेखित होता है. जहाँ इस फैसले का क्रिश्चियन समुदाय ने विरोध किया है तो वहीं मुस्लिम समुदाय  ने इस फैसले का स्वागत किया है लेकिन आपको बता दें,  इसी तरह के एक फैसले के बाद 1975-90 में सिविल वॉर छिड़ गया था. इसके बाद यहां संसदीय सीटों को धार्मिक आधार पर बांटा गया था. वहीं अब पीएम के इस फैसले से यहाँ के हालात बिगड़ सकते हैं.

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