East–Africa Tectonic Plates Separation: धरती के भीतर होने वाली हलचलें हमारे पर्यावरण और भूगोल पर गहरे प्रभाव डालती हैं, जिनसे भविष्य में पृथ्वी की संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। हाल ही में, वैज्ञानिकों ने पूर्वी अफ्रीका के क्षेत्र में हो रहे टेक्टोनिक बदलावों पर शोध किया है, जो न केवल अफ्रीका बल्कि वैश्विक भूगोल को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह बदलाव धीरे-धीरे हो रहा है, लेकिन इसके परिणाम बहुत बड़े हो सकते हैं, और अगर यह प्रक्रिया जारी रहती है तो अफ्रीका के पूर्वी हिस्से को अलग कर एक नया महासागर बन सकता है।
पूर्वी अफ्रीका में हो रहे बदलाव- East–Africa Tectonic Plates Separation
पूर्वी अफ्रीका में, विशेष रूप से इथियोपिया, केन्या और तंजानिया में, एक बहुत ही सक्रिय टेक्टोनिक गतिविधि हो रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में अफ्रीकी प्लेट के दो भागों में बंटने की प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया के कारण, पश्चिमी क्षेत्र में न्युबियन प्लेट और पूर्वी क्षेत्र में सोमालियाई प्लेट का निर्माण हो रहा है। हालांकि यह प्रक्रिया बहुत धीमी गति से हो रही है — हर साल कुछ मिलीमीटर — लेकिन इसके परिणाम विशाल हो सकते हैं। अगर यह गति जारी रहती है, तो अंततः समुद्र का पानी इस अंतर को भरने के लिए आ सकता है, जिससे एक नया महासागर बन सकता है, जो अफ्रीका के पूर्वी हिस्से को बाकी महाद्वीप से अलग कर देगा।
सतह पर दरारें और वैज्ञानिकों का मत
2018 में केन्या की रिफ्ट घाटी में एक दरार दिखाई दी थी, जिससे वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का ध्यान आकर्षित हुआ। कुछ ने इसे पृथ्वी के टूटने का सीधे तौर पर सबूत माना, जबकि कई विशेषज्ञों ने इसे एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में देखा। रिसर्चर स्टीफन हिक्स के अनुसार, यह दरार बारिश और मिट्टी के कटाव के कारण हो सकती है, न कि केवल टेक्टोनिक गतिविधि के कारण। वहीं, अन्य विशेषज्ञों ने इसे टेक्टोनिक और वॉल्केनिक गतिविधियों का हिस्सा बताया, जो क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं, भले ही इसके तुरंत प्रभाव सतह पर न दिखें।
भूगर्भीय ताकतें और उनका प्रभाव
पूर्वी अफ्रीका की रिफ्ट क्षेत्र में टेक्टोनिक और वॉल्केनिक गतिविधि का लंबा इतिहास रहा है। डेविड एडेड, जो इस क्षेत्र के अध्ययन में शामिल हैं, का मानना है कि इन भूगर्भीय ताकतों का प्रभाव भविष्य में भी जारी रहेगा, और इसका असर पृथ्वी की सतह पर महसूस किया जाएगा। हालांकि, यह बदलाव तुरंत स्पष्ट नहीं होते, लेकिन लंबे समय में इसके परिणाम महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
लूसिया पेरेज़ डियाज़ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दरारों की वास्तविक वजह का अभी तक पूरी तरह से अध्ययन किया जा रहा है। फिर भी, टेक्टोनिक शिफ्ट की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। इन दरारों की हरकतें पृथ्वी की अंदरूनी फॉल्ट लाइनों से जुड़ी हो सकती हैं, जो धीरे-धीरे सतह पर प्रभाव डालती हैं।
भविष्य में क्या हो सकता है?
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह प्रक्रिया 50 मिलियन सालों तक चल सकती है, जिससे अफ्रीका के पूर्वी हिस्से का पूरी तरह से विभाजन हो सकता है। नेशनल जियोग्राफिक के अनुसार, यह प्रक्रिया सोमाली प्लेट को न्युबियन प्लेट से अलग कर सकती है, और इसके परिणामस्वरूप एक नया महासागर बेसिन बन सकता है। इस नई महासागर प्रणाली का आकार और प्रभाव समय के साथ विकसित हो सकता है, और यह अफ्रीका के भूगोल में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
यह प्रक्रिया न केवल अफ्रीका बल्कि पूरे ग्रह के लिए एक अद्वितीय भूगर्भीय परिवर्तन हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नया महासागर अफ्रीका के पूर्वी हिस्से को पूरी तरह से अलग कर सकता है, जिससे एक नया भूभाग, जैसे मेडागास्कर, उत्पन्न हो सकता है।