Epstein scandal: ब्रिटेन में शाही परिवार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। किंग चार्ल्स तृतीय ने अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्र्यू से उनकी राजकुमार की उपाधि छीन ली है। अब उनके नाम के साथ ‘प्रिंस’ नहीं जुड़ा रहेगा। इतना ही नहीं, उन्हें विंडसर एस्टेट स्थित अपने रॉयल लॉज से बाहर निकालने का नोटिस भी दे दिया गया है। बकिंघम पैलेस ने गुरुवार को इसकी आधिकारिक पुष्टि की।
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एंड्र्यू और शाही परिवार पर दबाव- Epstein scandal
किंग चार्ल्स ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब एंड्र्यू के जेफरी एपस्टीन के साथ संबंधों को लेकर शाही परिवार पर काफी दबाव बढ़ा हुआ था। एपस्टीन पर बच्चों के यौन शोषण के गंभीर आरोप हैं, और एंड्र्यू के उनके साथ जुड़े होने की खबरों ने शाही परिवार की छवि को नुकसान पहुंचाया।
हाल ही में एक कार्यक्रम में किंग चार्ल्स को सार्वजनिक रूप से एंड्र्यू को लेकर विरोध का सामना भी करना पड़ा था। इस घटनाक्रम ने शाही परिवार के भीतर गंभीर चर्चा और कड़े कदम की जरूरत को और अधिक मजबूती दी।
वर्जीनिया ग्रिफे केस का प्रभाव
एंड्र्यू लंबे समय से विवादों में रहे हैं। इस साल अप्रैल में वर्जीनिया ग्रिफे का निधन और उनके संस्मरण ने इस विवाद को और तेज कर दिया। ग्रिफे ने अपनी किताब में आरोप लगाया था कि एंड्र्यू ने किशोरावस्था में उनका यौन उत्पीड़न किया था। हालांकि एंड्र्यू ने बार-बार इन आरोपों का खंडन किया।
वर्जीनिया ग्रिफे के परिवार ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा, “आज एक साधारण अमेरिकी परिवार की साधारण अमेरिकी लड़की ने अपनी सच्चाई और असाधारण साहस से एक ब्रिटिश राजकुमार को हरा दिया।”
शाही घर छोड़ने का नोटिस और नई पहचान
इस महीने की शुरुआत में प्रिंस एंड्र्यू को ड्यूक ऑफ यॉर्क की उपाधि छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। अब किंग चार्ल्स ने अपनी कार्रवाई को और कड़ा करते हुए एंड्र्यू से सभी उपाधियां छीन ली हैं। उन्हें अब एंड्र्यू माउंटबेटन विंडसर के नाम से जाना जाएगा।
बकिंघम पैलेस ने कहा कि उन्हें विंडसर एस्टेट स्थित रॉयल लॉज की लीज छोड़ने का औपचारिक नोटिस दे दिया गया है। भविष्य में एंड्र्यू को पूर्वी इंग्लैंड के सैंड्रिंघम एस्टेट में निजी निवास में स्थानांतरित होना होगा।
उत्तराधिकार और शाही दावेदारी
हालांकि उपाधि और रियल एस्टेट से हटाए जाने के बावजूद, एंड्र्यू अभी भी ब्रिटिश क्राउन के आठवें उत्तराधिकारी बने हुए हैं। इस दर्जे को हटाने के लिए विशेष कानून और राष्ट्रमंडल देशों की सहमति की आवश्यकता होगी, जिसमें समय लगेगा। पिछली बार ऐसा प्रोटोकॉल 1936 में एडवर्ड अष्टम के राजगद्दी त्यागने के समय इस्तेमाल हुआ था।
किंग चार्ल्स का यह कदम आधुनिक ब्रिटिश इतिहास में शाही परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ सबसे नाटकीय और ऐतिहासिक कदमों में से एक माना जा रहा है। यह न केवल शाही परिवार की छवि को संभालने की कोशिश है, बल्कि बच्चों के यौन शोषण से जुड़े विवादों के प्रति सार्वजनिक जवाबदेही की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।









