Georgia Protests: जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी में शनिवार को हजारों की संख्या में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन (ओर्बेलियानी पैलेस) के बाहर जमकर हंगामा मचाया। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़कर भवन के परिसर में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस और पेपर स्प्रे का इस्तेमाल कर उन्हें तितर-बितर किया। इस दौरान हिंसक झड़पें देखने को मिलीं और माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।
यह विरोध प्रदर्शन इस साल के स्थानीय निकाय चुनावों के खिलाफ है, जिनका अधिकांश विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था। ये विपक्षी दल मुख्य रूप से यूरोपीय संघ (EU) के समर्थक माने जाते हैं। वहीं, जॉर्जिया की मौजूदा सरकार ने यूरोपीय संघ पर देश में दंगे भड़काने का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री इराकली कोबाखिद्ज़े ने कहा कि दंगाई लोग यूरोपीय संघ के झंडे लेकर आए थे और उन्होंने राष्ट्रपति भवन के बाहर बैरिकेड्स में आग लगा दी। उन्होंने यूरोपीय संघ के राजदूत पर भी आरोप लगाया कि वे ‘संवैधानिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने’ में प्रदर्शनकारियों की मदद कर रहे हैं।
चुनावों में धांधली का आरोप और बढ़ता राजनीतिक संकट- Georgia Protests
जॉर्जिया पिछले साल संसदीय चुनावों के बाद से ही राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। विपक्ष ने सत्तारूढ़ ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी पर चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने भी चुनाव में अनियमितताओं, धमकियों और हिंसा की बात कही है और इसे दोषपूर्ण बताया है। इसके बाद प्रधानमंत्री कोबाखिद्ज़े के नेतृत्व वाली सरकार ने यूरोपीय संघ में शामिल होने की बातचीत स्थगित कर दी, जिससे देश में असंतोष और गहराया।
शनिवार को प्रदर्शनकारी त्बिलिसी के फ्रीडम स्क्वायर और रुस्तवेली एवेन्यू से मार्च करते हुए राष्ट्रपति भवन पहुंचे। इस प्रदर्शन का नेतृत्व मशहूर ओपेरा सिंगर पाता बरचुलाद्जे ने किया, जिन्होंने सरकार से मांग की कि गृह मंत्रालय के कर्मचारी जनता की इच्छाओं का सम्मान करें और छह वरिष्ठ नेताओं को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, जिनमें प्रधानमंत्री कोबाखिद्ज़े भी शामिल हैं।
प्रदर्शनकारियों की मांगें और सरकार का रुख
विपक्ष नए सिरे से चुनाव कराने और लगभग 60 राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रहा है। प्रारंभिक चुनाव परिणामों के अनुसार, ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी ने 80 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए और राजधानी समेत सभी 64 नगर पालिकाओं में जीत दर्ज की, लेकिन विपक्ष ने इसे अवैध और एकतरफा बताया है। यूरोपीय संसद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी 2024 के संसदीय चुनाव परिणामों को मान्यता देने से इनकार कर दिया है और नए चुनाव की जरूरत पर जोर दिया है।
सरकार ने पिछले महीनों में प्रदर्शनकारियों, मीडिया और प्रो-वेस्टर्न विपक्षी नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। कई विपक्षी नेताओं और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया है। वहीं, ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी प्रदर्शनकारियों को विदेशी साजिश का हिस्सा बता रही है और खुद को रूस समर्थक होने के आरोपों से साफ कर रही है।
जॉर्जिया का यूरोपियन संघ के साथ बदलता रिश्ता
जॉर्जिया कभी यूरोपीय संघ में शामिल होने का एक मजबूत दावेदार माना जाता था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से देश और पश्चिम के बीच दूरी बढ़ती जा रही है। विवादित संसदीय चुनावों के बाद सरकार ने यूरोपीय संघ में शामिल होने की वार्ता स्थगित कर दी, जिससे विरोध प्रदर्शनों को और बल मिला। आलोचकों का कहना है कि ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी, जिसके पीछे अरबपति संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री बिद्जिना इवानीशविली का प्रभाव माना जाता है, देश को पश्चिमी मंच से दूर कर रूस के करीब ले जा रही है।
इस समय त्बिलिसी की सड़कों पर राजनीतिक तनाव चरम पर है और सरकार तथा विपक्ष के बीच संवाद की कमी देश की स्थिति को और जटिल बना रही है।
और पढ़ें: US Shutdown 2025: अमेरिका में फेडरल शटडाउन, सरकारी कामकाज ठप, इमिग्रेंट्स पर बढ़ी चिंता